Friday, June 7, 2013

वेश्या

विहनि कथा- 64
वेश्या

- हे...हे...जा एना नै सट...पूजा-पाठक समान छै सब छुआ जाएत ।
- एना किए बाजैत छथि ।हमर देहमे कोनो मैला लागल छै जे छुआ जाएत ।
- तोहर कर्मे एहन छौ जे सब छुआ जेतै ।कतबो नील-टिनोपाल झाड़ि ले रहबे तँ वेश्याक वेश्ये . . . ।
-चुप. . .चुप रहू. . .जँ हम वेश्या छी तँ अहाँ की छी. . .?
- हम पुजारीन छी ।सीता छी, सावित्री छी ।
- बड़ा एलनि राधा बाली ।अहूँ वएह छी जे हम छी ।सब मौगी अपन मरद लऽग वैह रहैत अछि जे हम रहै छी ।हमरसँ तूँ छुआ जेबें ,गै हमरा वेश्या तँ तोरे सभक मरदबा बनबै छौ ।एकटा वेश्याक सप्पत छौ जो पहिने अपन मरदकेँ शुद्ध करा तखन छुआ-छूत मानिहें ।

अमित मिश्र

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