“कि रौ संजैया, महिस खोलैक बेर नहि भेलैए की ?”
“जाइ छी मामा, ओ माथमे कनीक दर्द करै छल तैँ सुति
रहल रही।“
“हुँ गिरै कालमे माथ नहि दुखेलहुँ आब महिस खोलै
कालमे माथ दुखाइए । एतए तँ जेना कोनो कुबेरक खजाना रहै, बाप कलकत्ता ओगरने आ बेटा
छह महिनासँ एतए हमर माथमे दर्द केने ।“
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