रातिकेँ करीब साढ़े एगारह बजे, घरक पाछूक बड़ीसँ
कुकुरकेँ कानैक स्वर सुनाइ दऽ रहल छलै ।
“कि एहि अँगनामे कएकरो अकाल मृतु भेल छलै ।“
कनियाँ अप्पन बरसँ पुछ्लनि, जिनक ब्याह सात दिन पहिने भेल छल । आइ दुरागमन आ
कनियाँक ससुरक पहिल राति । केखनो -केखनो आँगनमे कएकरो पएरक चलैक अबाज । दुपहरिया
रातिक डराउन चुप्पीमे ओ नव जोड़ा जागैत चुप-चाप परल । कौआक काँव-काँवसँ भोरक पहिल
इजोतक आगमन ।
दिनक पहिले उखराहामे बर,
एकटा पहुँचल वैदक दुकानपर । सामने दुकानक साइन बोर्डपर लिखल ‘शर्तिया मरदाना ताकतकेँ
लेल संपर्क करू’ ।
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