Monday, June 10, 2013

अनचिन्हार


“मनुखक बच्चा गिदरक झुण्डमे पोसा कए जेना बिसरि जाइत छै जे ओ गिदर नहि मनुख छैक तेनाहिते हम अप्पन ३९ बर्खक अवस्थामे पछुक ३५ बर्ख दिल्लीमे रहैत-रहैत बिसरि गेलहुँ जे हम दिल्लीकेँ नहि पवित्र मिथिला भूमिक संतान छी । धन्य छथि अनचिन्हार जे हमरा एकर भान करेलनि ।“  

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