अनचिन्हार
“मनुखक
बच्चा गिदरक झुण्डमे पोसा कए जेना बिसरि जाइत छै जे ओ गिदर नहि मनुख छैक तेनाहिते
हम अप्पन ३९ बर्खक अवस्थामे पछुक ३५ बर्ख दिल्लीमे रहैत-रहैत बिसरि गेलहुँ जे हम
दिल्लीकेँ नहि पवित्र मिथिला भूमिक संतान छी । धन्य छथि अनचिन्हार जे हमरा एकर भान
करेलनि ।“
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