Thursday, June 27, 2013


सगर राति‍ दीप जरयक ७९म आयोजन कथा कोसीउमेश पासवानक संयोजकत्‍वमे औरहामे सम्पन्न/ ८०म सगर राति‍ दीप जरय सुपौल जि‍लाक निर्मलीमे उमेश मण्‍डलक संयोजकत्वमे- उमेश मण्डल

सगर राति‍ दीप जरयक ७९म आयोजन कथा कोसीनामक वैनरक नीचाँ दि‍नांक १५ जून संध्‍या ६.३० बजेसँ शुरू भऽ १६ जूनक भि‍नसर ६ बजे धरि‍ लौकही थाना अन्‍तर्गत औरहा गामक मध्‍य वि‍द्यालयक नव नि‍र्मित भवनमे श्री उमेश पासवानक संयोजकत्‍वमे सुसम्‍पन्न भेल। अगि‍ला ८०म गोष्‍ठी सुपौल जि‍लाक निर्मलीमे हेबाक लेल उमेश मण्‍डलक प्रस्‍ताव आएल जे सर्वसम्मति‍सँ मान्‍य भऽ घोषित भेल।
श्री जगदीश प्रसाद मण्‍डल एवं श्री रामचन्‍द्र पासवान जीक संयुक्‍त अध्‍यक्षतामे तथा श्री वीरेन्‍द्र कुमार यादव आ श्री दुर्गागान्‍द मण्‍डलक संयुक्‍त संचालनमे ऐ कथा गोष्‍ठीक भरि‍ राति‍क यात्रा भेल। गोष्‍ठीक शुभारम्‍भ श्री लक्ष्‍मी नारायण सिंह एवं श्री रामचन्‍द्र पासवानजी संयुक्‍त रूपे दीप प्रज्‍वलि‍त कऽ उद्घाटन केलनि‍। दीप प्रज्वलनमे डॉ. रामानन्‍द झा ‘रमण’ श्री हेम नारायण साह श्री शंभु सौरभ संग-संग प्रेक्षागारमे उपस्‍थि‍त सभ कथा-साहि‍त्‍य प्रेमी थोपड़ी बजा सहयोग केलनि‍।
वि‍देह-सदेह-५ वि‍देह मैथि‍ली वि‍हनि‍ कथा, वि‍देह सदेह-६ वि‍देह मैथि‍ली लघुकथा, वि‍देह-सदेह-७ वि‍देह मैथि‍ली पद्य, वि‍देह-सदेह-८ वि‍देह मैथि‍ली नाट्य उत्‍सव, वि‍देह-सदेह-९ वि‍देह मैथि‍ली शि‍शु उत्‍सव तथा वि‍देह-सदेह-१० वि‍देह मैथि‍ली प्रबन्‍ध-नि‍बन्‍ध-समालोचना नामक पोथीक लोकार्पण स्‍थानीय वि‍द्वतजन श्री संजय कुमार सिंह, श्री रामचन्‍द्र पासवान, श्री मि‍थि‍लेश सिंह, श्री राजदेव मण्‍डल, श्री लक्ष्‍मी नारायण यादव तथा श्री वीरेन्‍द्र प्रसाद सिंह (दुर्गानन्‍द मण्‍डल) जीक हाथे भेल।
लोकार्पण सत्रक पछाति‍ दू-शब्‍दक एकटा महत्‍वपूर्ण सत्रक सेहो आयोजन भेल जइमे श्री रामचन्‍द्र  पासवान, श्री बेचन ठाकुर, श्री कपि‍लेश्वर राउत, श्री कमलेश झा, श्री राजदेव मण्‍डल, श्री राम वि‍लास साहु, श्री उमेश नारायण कर्ण, श्री रामानन्‍द झा रमण’, श्री शंभु सौरभ, श्री वीरेन्‍द्र यादव, श्री दुगानन्‍द मण्‍डल, श्री जगदीश प्रसाद मण्‍डल, श्री हेम नारायण साहु, डॉ शि‍वकुमार प्रसाद, श्री अरूणाभ सौरभ तथा हम माने उमेश मण्‍डल आ संयोजक श्री उमेश पासवान द्वारा सगर राति‍ दीप जरयकथा गोष्‍ठीक दीर्घ यात्रा तथा उदेसपर सभागारमे उपस्‍थि‍त दूर-दूरसँ आएल कथाकार, समीक्षक-आलोचक एवं स्‍थानीय साहि‍त्‍य प्रेमीक समक्ष अपन-अपन मनतव्‍य रखलनि‍। सगर राति‍क ७५म आयोजनक पश्चात ७६म आयोजन जे श्री देवशंकर नवीन दि‍ल्‍लीमे करेबाक घोषना तँ केने रहथि‍ मुदा से नै करा साहि‍त्‍य अकादेमी द्वारा आयोजि‍त कथा गोष्‍ठीकेँ गनि नेने रहथि‍ जहू गि‍नतीकेँ सोझरौल गेल आ तँए ऐ गोष्‍ठीकेँ श्री उमेश पासवान अपन इमानक परि‍चए दैत ७९म  आयोजन केलनि‍। ओ कहलनि‍ जे हम सभ अर्थात् वि‍देह मैथि‍ली साहि‍त्‍य आन्‍दोलनसँ जुड़ल मैथि‍ली वि‍कास प्रेमी छी। हम सभ ७७म, ७८म आयोजनक आयोजनकर्ताकेँ स्‍पष्‍ट रूपे कहैत एलि‍यनि‍ मुदा हमरा सबहक बात नहियेँ वि‍भारानी मानलनि‍ आ नहि‍येँ कमलेश झा मानलनि‍। मुदा से हमहूँ नै मानब आ सही-सही गि‍नती करब।”
ऐ तरहेँ उक्‍त आयोजनकेँ ‘सगर राति‍ दीप जरय’क ७९मे बहुसंख्‍यक मनानुसार तँइ भेल, आयोजि‍त भेल। हलाँकि‍ दरभंगासँ आएल कथाकार श्री हीरेन्‍द्र कुमार झाक उकसेला पर रहुआसँ आएल श्री वि‍नय मोहन झा जगदीश, श्री दुखमोचन झा आ दरभंगेसँ आएल श्री अशोक कुमार मेहता, हीरेन्‍द्र झा जीक संग गोष्‍ठीक आरम्‍भक घंटा भरि‍क पछाति‍ चलि‍ जाइ गेला।
जीवि‍ते नर्क (उमेश मण्‍डल), शि‍क्षाक महत (राम वि‍लास साहु), बि‍आहक पहि‍ल साल गि‍ड़ह (दुर्गानन्‍द  मण्‍डल), बौका डाँड़ (लक्ष्‍मी दास), बंश (कपि‍लेश्वर राउत), टाटीक बाँस (राम देव प्रसाद मण्‍डल झारूदार’), सगतोरनी (शि‍वकुमार मि‍श्र), पाथर, पि‍यक्कर, जोगार आ अंग्रेज नैना (अमीत मि‍श्र), संत आकि‍ चंठ (बेचन ठाकुर), अछोपक छाप (शम्‍भु सौरभ), नमोनाइटिस (उमेश नारायण कर्ण), द्वादशा (सुभाष चन्‍द्र सि‍नेही’), राँड़ि‍न (रोशन कुमार मैथि‍ल’), पँचवेदी (अखि‍लेश कुमार मण्‍डल), मुइलो बि‍सेबनि (जगदीश प्रसाद मण्‍डल) इत्‍यादि‍ महत्‍वपूर्ण लघु कथा/वि‍हन‍ कथाक पाठ भेल आ सत्रे-सत्र मौखि‍क टि‍प्‍पणी आ समीक्षा सेहो भेल।
अछोपक छाप (शम्‍भु सौरभ) क समीक्षाक क्रममे श्री रमानन्द झा "रमण" कथावस्तुसँ अपन असहमति देखेलनि आ कहलनि- "नै आब ई गप नै अछि, एकटा गप एतै देखियौ, हम रमानन्द झा "रमण" श्रोत्रिय उच्च कुलक, आ कतऽ आएल छी! उमेश पासवानक दरबज्जापर!"
श्री बेचन ठाकुर श्री रमानन्द झा "रमण"क नव-ब्राह्मणवादी सोचक विरोध करैत कहलनि-
"लोकक मगजमे अखनो जाति-पाति भरल छै, मैलोरंगक प्रकाश झा तँए ने कहै छथि जे बेचन ठाकुर भरि दिन तँ केश काटैत रहैए, ई रंगमंच की करत!! श्रीधरमकेँ सेहो ई गप बूझल छन्हि।”
माने मैथिली साहित्यकार, समीक्षक आ रंगमंचसँ जुड़ल ब्राह्मणवादी आ नव-ब्राह्म्णवादी सोचक लोककेँ देखैत ई कहल जा सकैए जे २१म शताब्दीमे श्री रमानन्द झा "रमण"क व्‍यान ई देखबैत अछि जे केना ओ उमेश पासवानक दरबज्जापर आबि उपकृत करबाक भावनासँ ग्रसित छथि।
      ऐ अवसरि‍पर वि‍देह मैथि‍ली पोथी प्रदर्शनी (२७म प्रदर्शनी) सेहो लागल रहए।
अगि‍ला ८०म गोष्‍ठी सुपौल जि‍लाक निर्मलीमे हेबाक लेल उमेश मण्‍डलक प्रस्‍ताव आएल जे सर्वसम्मति‍सँ मान्‍य भऽ घोषित भेल।
सभ कथाकार, कथा-साहि‍त्‍य प्रेमी एवं समीक्षक-आलोचकसँ आग्रह-अनुरोध-नि‍वेदन‍ जे ८०म सगर राति‍क कथा गोष्‍ठी- निर्मलीमे अपन गरि‍मामयी उपस्‍थि‍ति दि‍ऐ।

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