Tuesday, June 4, 2013

गाँधी जयन्ती

विहनि कथा-44
गाँधी जयन्ती

"अहाँ सबकेँ बूझल हएत जे आइ गाँधी जयन्ती छै ।" मंचक बीचमे लागल माइक द्वारा अपन आवाजकेँ पसारैत नेता जी कहि रहल छलाह "गाँधी जी बड पैघ नेता छलथि ।भारत-पाकिस्तान ­ लेल बड संघर्ष केलनि ।" फेर बातकेँ सुधारैत " भारत लेल गोली धरि सहलनि ।हमरा सबकेँ हुनक आदर्शपर चलबाक चाही ।ओ बड नीक गप कहि गेल छथि जे सत्य आ अहिंसाकेँ अपनाबै जाउ ।"
एते सुनि एकटा जनता बैसले-बैसले नेता जीकेँ सुनेलकनि "अहाँ तँ सदिखन झूठे बाजै छी ।भोंट लेल बुथ लूटि हींसा करै छी ।भारत लेल तँ छोड़ू एकटा जिला लेल कमसँ कम थापड़ो नै खाइ छी, गोली तँ दूरक गप भेल।मंच भेटलापर खाली हवा-हवाइ छोड़ैत रहै छी ।"एते सुनिते नेता जी हड़बड़ा गेलाह आ " आब बात खतम करै छी ।अन्तमे जय गाँधी, जय भारत ।" कहि गद्देदार कुर्सीपर बैस गेलाह ।

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