Friday, June 14, 2013

काल्पनिक

102. काल्पनिक

हमरा संग सात वर्षक भागिन एकटा फिल्म देखैत छल ।ओहि फिल्ममे हीरो समाज सुधारक छल ।गुण्डा सबसँ लड़ैत कतेको बेर हाथ-पएर तोड़बा चुकल छल ।गरीबक हितैसी छल ।कने काल बाद संगे न्यूज चैनल देखऽ लागलौं ।न्यूजमे वएह हीरोकेँ पुलिस पकड़ने छलै ।ओ अपन घरक नोकरकेँ बड मारि मारने छल आ सिगरेटसँ चाम जरा देने छल ।ओकरा देख हमर भागिन बाजल "मामा, ई तँ गरीबक भला करैत अछि तखन ई गरीबकेँ कोना मारने हएत ?ओतऽ तँ ई रक्षक बनल छल, एतऽ भक्षक कोना बनि गेलै ?"
"बौआ, ओ सबटा काल्पनिक छलै ।लोक फूसियाहा रक्षक बनै छै ।ओतऽ तँ टाकापर नीक चरित्र गढ़ल गेल छलै, मुदा एतऽ वास्तविक अछि ।अमीर एहने दूमुँहाँ साँप होइ छैजे भीड़मे मलहम लगबै छै आ एसगरमे घावकेँ भोकन्नर कऽ दै छै ।" हमर ई बात ओ बुझलै वा नै से तँ नै पता, मुदा असलियत इएह छै ।

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