हमरा बुझना जाइए जेना साहित्य श्रृजन आ सेक्स एक दोसरसँ
बहुत मेल खाइए । साहित्य श्रृजन सदिखन एसगर अथवा रातिक अन्हारमे होइत छैक । सेक्स
सेहो एकांत अथवा रातिक अन्हारेमे होइत छैक |
साहित्यमे हम अप्पन समकक्षसँ लेखकसँ
एक इंच आगू जाए चाहैत छी तँ सेक्समे हम अप्पन पाट्नरसँ सदैब एक मिनट आगू रहए चाहैत
छी ।
साहित्यक
परिणाम नीक बेजए किताब भबिष्यक लेल धरोहर अछि तँ सेक्सक परिणाम समाजमे हमर देल नीक
बेजए सन्तान अछि ।
साहित्य सृजन दिनो देखार होइत छैक । साहित्यमे आगू बढ़बाक होड़मे अधकच्चू सृजन भऽ जाइत छै ।सेक्समे बेसी अगुतेनाइ नीक नै मानल गेल अछि ।
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