अपन दियादनीमे सभसँ छोट रहला कारणे कनियाँ आ एखन
सभक दाइ तेँ दुनू मिल कए कनियाँ दाइ | अपन अवस्थाकेँ अपनासँ पाछू छोरैत एखन साठि
बर्खक अवस्थोमे चंचलता आ हाजिर जवाबीमे कोनो अंतर नहि | केशवक पाँचो भाइक उपनैन |
आगू आगू पाँचो बरुआ पाछू ढोल पिपही बजैत रमनगर दृश्य | कनियाँ दाइ एहि अबसरपर कतौ
अपन व्यस्तताकेँ कारण देरी भए गेली | हरबराइत दौरैत अँगना पहुँचक चेष्टामे डौढ़ीपर
बरुआ केशवसँ आमने सामने टकरा गेली | अपनाकेँ सम्हारैत झटसँ, “बुढ़ीयासँ टकरा कए की
भेटतौ कोनो छौंड़ीसँ टकराअ तँ किछु भेटबो करतौ |”
हुनक गप्प सुनि सभक
मुँहपर हँसीक ठहाका छुटि गेल |
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