Sunday, June 9, 2013

टूटल तरेगण

79. टूटल तरेगण

" बौआ चुप भऽ जाउ ।एतऽ जँ अहाँ कानब तँ ओतऽ अहाँक माँ-पापा कानताह ।" पाँच वर्षक नाँतिकेँ नानी समझा-बुझा रहल छलीह ।ओकर माँ-पापाकेँ डकैत गोली मारि देने छलै ।घरबैया परेशान छल जे सबटा लूटियो लेलक आ जानो हरि लेलक ।तखने ओ नेना बाजल " नानी, हमर माँ-पापा कतऽ छथिन ।"
"ओ जे दूरमे दू टा तरेगण चमकि रहल छै वएह छथुन ।" तरेगणक भीड़ दिश अङुरी देखबैत नानी उत्तर देलनि ।तखने आकाशसँ दू टा तरेगण टूटि कऽ खसऽ लागलै ।ओ नेना ओकरा देख चिचियाइत दौड़ऽ लागल" माँ-पापा आबै छथिन ।माँ-पापा आबै छथिन . . ." बीच्चेमे देबालसँ टकरा कऽ ओ बेहोश भऽ गेल ।नानी सोचि रहल छलीह "चोर-डकैतकेँ लोक की बिगाड़ै छै जे एहन-एहन अबोध नेनाक हँसी छीन लै छै ।"

अमित मिश्र

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