Friday, June 7, 2013

इंटरव्यू



सिविल असिस्टेंट इंजीनियर पोस्टकेँ लेल इंटरव्यू। लिखित परीक्षामे २४ टा परीक्षार्थी पास कएला बाद आइ अंतिम मौखिक परीक्षा। २४ मे सँ कुल एक गोटाक चयन होएत। एक-एक कए सभ उमीदवार कक्षमे आबैत। कक्षमे तीनटा इंजीनियर संगे सामने मुख्य चयनकर्ता।
सभ उमीदवारक सामने मुख्य चयनकर्ताक एकैटा प्रश्न, “कि अपने सिविल डिपार्टमेंटसँ की इक्षा रखैत छी आ एहिकेँ बदलामे अहाँ की की देबैकेँ लेल तैयार छी।”
हुनक एहि तरहक प्रश्नकेँ सुनि कए कियो कहैत, “इक्षा की सभटा तँ आब अपनेक हाथमे अछि हाँ देबैक लेल जे अपने कही, चारि लाख .....पाँच लाख।”
“ठीक छै अहाँसँ हम कोन्टेक्ट करब, आगू...।” ई कहैत मुख्य चयनकर्ताक हाथ बेलपर जाइन, खरररर खरररर ऽऽऽऽ केँ आबाज, दोसर उम्मीदवारक प्रवेश। हुनको सभक सामने ओहे पुराण प्रश्न। कियो कहैत, “इक्षा की ई पोस्ट हमर भेल, रहल देबैक गप्प तँ जतेक अपने कही हमर बाबूजीक खाली चेक तैयार छनि।”
एकटा तँ प्रश्न सुनिते माँतर क्रोधसँ हिलए लगला, “एतेक भारी अन्याय, एहि तरहक कृत्य, एहि गप्पक आबाज हम बहुत आगू धरि उठाएब।” ई बरबराइत ओ कक्षसँ बाहर निकलि गेला ।
सभसँ अंतमे अंतिम उम्मीदवार, हुनको लग फेरसँ ओहे प्रश्न राखल गेल, “अपने सिविल डिपार्टमेंटसँ की इक्षा रखैत छी आ एहिकेँ बदलामे अहाँ की की देबैकेँ लेल तैयार छी।”
“तत्काल तँ हम ई इक्षा रखै छी जे ई जॉब हमरा कन्फोर्म भऽ जए आ देबैकेँ लेल हम अप्पन पूर्ण योग्यता, काजक प्रति निष्ठा, यथा ज्ञान तन-मनसँ मेहनति देबैक लेल तैयार छी ।”
अगिला प्रश्न, “शेलरीक कतेक एक्श्पेक्टेशन रखैत छी।”
“ई हमर पहिल जॉब अछि तेँ एखन शेलरी नहि, एहिठामसँ हम कतेक बेसी शिखब तकर एक्श्पेक्टेशन रखैत छी।”
मुख्य चयनकर्ता ठार होइत, हाथ आँगा करैत, “बधाइ ! अहांक जॉब कन्फोर्म। उम्मीद करै छी हम सभ एहिठाम अपनेक पूर्ण ज्ञानक उपयोग कए सकी आ अपने सेहो एहिठामसँ अपन ज्ञानक नीकसँ अपडेशन कए सकी। एक बेर फेरसँ बधाइ।”

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