Sunday, June 16, 2013

सारि

104. सारि

"यै सारि दुलरी ।लोक सासुरमे मजा करैत अछि, मुदा एतऽ तँ सजा लागैत अछि ।" बहिनोइ अपन सारिसँ चौल केलक ।
सारि कने बिहुँसैत बाजलनि "एतऽ कनियाँ अछिए ।हमर कोन जरूरति ।"
" जा, अहाँकेँ नै बुझल अछि ।हे यै, सारि तँ आधा कनियाँ होइत छै ।"
"तखन हम की करौं "
"बेसी किछु नै ।कने हँसी-मजाक कऽ लेल करू बहिनोइ संग ।" बहिनोइक ई बात सूनि सारि जबाब देलनि "हमरा लागैत छल जे अहाँ हँसैयो लेल टाका मागब ।ओनाहितो अहाँकेँ दीदी लेल खरिदल गेल छल, हमरा लेल नै ।"
सारिक ई बात सूनि बहिनोइक मुँह कारी स्याह भऽ गेलै ।

अमित मिश्र

No comments:

Post a Comment