Wednesday, July 24, 2013

सहकर्मी

124. सहकर्मी

-मैडम, कहि दैत छी ।आब बड़का-बड़की फसि जेतै ।सम्हारि लिअ बेबस्था ।
- यौ सर, आइ-काल्हि अहाँ एते तमसाइ किए छी ?
- तमसैयै नै तँ कि झालि-मृदंग लऽ गीत गाबियै ।बुझू तँ एहनो कतौ भेलैए ।
-की भेल से तँ कहू ?
- ओ पाठक जी सदिनख बैसल कुर्सी तोड़ैत रहै छथि आ हम कड़गड़ ड्यूटीपर लागल रहै छी । बुझू तँ एक्कै दरमाहापर एतेक पैघ अन्तर ।
- आलसी छथि, की करबै ।अनेरे बी॰पी॰ हाइ करै छी ।लोक दियाद-वाद संग एते अरारि करैत छै ।ई के छथि जे लड़ाइ ठानै छी ?
-यै मैडम, सब अहींक कएल-धएल अछि ।ओ हमर दियाद नै छै तँ की भेलै, सहकर्मी तँ छै ने ?अरारि तँ हेबे करतै ।

अमित मिश्र

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