111. एक्का-बीबी-गुलाम
ओहि गामक लोक बड खुश रहैत छल ।सब किओ खेती आ माल-जालमे लागल रहैत छल ।सबमे खूब एकता छल ।एक्कै टा कमी छलै, टाकाक ।ओहि गाममे एकटा सूदिखोर छलै ।ओ उदास रहैत छल किएक तँ किओ ओकरासँ कर्ज नै लैत छलै । अपन धन्धा मन्दा होइत देख एकटा मीतसँ उपाय पुछलक ।मीत बतेलकै "तोरा लऽग धन रूपी एक्का, पैरबी रूपी बीबी आ पुलीस-नेता सन गुलाम छौ तेँ एहि खेलमे तोहर जीत निश्चित छौ ।"
अगिला दिनसँ ओहि गामक सरकारी योजना बन्द भऽ गेलै आ थानामे रपट बला फाइल मोट हुअ लागलै ।
अमित मिश्र
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