Thursday, July 11, 2013

ट्रेन

112. ट्रेन

रमेश एकल परिवारमे रहैत अछि ।खूब कमाइत अछि, खूब उड़बैत अछि ।एक साँझ मोहल्लाक नेना-भुटकाक संग अपन बेटाकेँ खेलाइत देखलक ।अपन बेटाक चमचमाइत शर्ट आ आन नेनाक मलिछाह शर्ट देख बाजल "बौआ, घरमे जा कऽ खेल गऽ ।"
बेटा उत्तर देलकै " हम एतै खेलब ।हमरा एतै नीक लागैत अछि ।"
"माँटिमे लेटेनाइ नीक बात नै अछि ।घरमे टी॰भी॰ आ विडियो गेम राखल छै ।ओहि संग खेलैमे बेसी मजा एतौ ।"
रमेशक ई बात सूनि बेटा नकियाइत बाजल "ओकरा संग खेलैमे हम एसगर भऽ जाइत छी, मुदा एतऽ खेलैमे सभक संग रहैत छी ।अहाँकेँ बूझल नै अछि जे ट्रेन-ट्रेन खेलैमे सब किओ एक ठाम रहैत अछि आ सबसँ बेसी मजा आबैत अछि ।" ई कहि बेटा ट्रेनक इंजन बनि खेलऽ लागल आ रमेश संयुक्त आ एकल परिवारक बीच सम्बन्ध स्थापित करैमे लागि गेल ।

अमित मिश्र

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