Saturday, July 6, 2013

ननदि-भाउज

109. ननदि-भाउज

-यै दाइ, एकटा बात बताउ ।अहाँकेँ केहन पति चाही ?
-भैया सनक ।
-एँ !भैया सनक ? मने ?
-मने ई जे जहिना भैया अहाँकेँ मानै छथि तहिना मानै बला आ कर्मठ पति चाही ।
-कर्मठ आ मानै बला ?कर्मठ रहितैथ तँ हमर काज कऽ दितैथ आ मानै बला रहितैथ तँ कमेला पाइ हथमे दितैथ ।ओल्ड युग जकाँ नै माए-बापकेँ पुजितैथ ।
ई सूनलाक बाद, विआहक बाद माए-बाप-बेटामे झगड़ा आ बाँट-बखरा हेबाक कारण बूझि गेल छलै असहाय ननदि ।

अमित मिश्र

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