“डाँड़ टूटल जाइए भरि राति सूतलहुँ नहि। बड़ हरान
करै छी, अगिला जनममे अहाँ हिजड़ा होएब जे
कोनो आओर मौगीकेँ एना तंग नहि कए सकब।”
“ठीक छै ! अगिला जनम अगिला जनममे देखल जेतै, एहि
जनमक आनन्द तँ लए लिअ। आ अगिला जनममे ओहि हिजड़ाक ब्याह जँ अहीँ संगे भए गेलहि तँ।”
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