Thursday, July 4, 2013

अगिला जनम




“डाँड़ टूटल जाइए भरि राति सूतलहुँ नहि। बड़ हरान करै छी, अगिला जनममे अहाँ हिजड़ा  होएब जे कोनो आओर मौगीकेँ एना तंग नहि कए सकब।”
“ठीक छै ! अगिला जनम अगिला जनममे देखल जेतै, एहि जनमक आनन्द तँ लए लिअ। आ अगिला जनममे ओहि हिजड़ाक ब्याह जँ अहीँ संगे भए गेलहि तँ।”

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