शंक्षेप्तमे एक गोट श्रेष्ठ विहनि कथामे निचाँ लिखल गुणँ होबाक चाही –
Ø सम्पूर्ण कथा मात्र एकटा दृश्यमे होबाक चाही। जेना नाटकक मंचन मंचपर होइत छैक आ ओहिमे कतेको बेसी दृश्य भऽ सकैत छैक मुदा विहनि कथाक कथ्य आ कथा दुनू एके दृश्यमे सम्पन्न भए जेबाक चाही।
Ø विहनि कथाक मुख्य अंग संवाद अछि। जतेक सटीक आ नीक संबाद होएत ओतेक नीक। शव्द चयन एहेन हेबा चाही जे पाठककेँ अर्थ बुझैक लेल सोचअ नहि परनि। तुरन्त आ जे हम कहै चाहै छी ओ पाठकक मानस पटलपर जेए।
Ø कथाक गप्प पाठकक करेजाकेँ छूबि लनि आ पढ़ला बादो करेजामे दस्तक दैत रहनि ओकर परिणाम वा समाप्तिक फरिछौँटमे नहि परि कए पाठकपर छोरि दी।
Ø जँ अहाँक कथा कोनो सार्थक उदेश्य वा गप्पकेँ प्रस्तुत करैक मे सफल अछि, समाजकेँ कोनो नीक बेजए पक्षकेँ दखा रहल अछि तँ सर्वोतम।
Ø पढ़ैक कालमे पाठकक मोनमे मनोरजन केर संगे-संगे रूचि आ कौतुहल जगा सकेए। एना नहि बुझना पड़े जे कोनो प्रवचन सुनि रहल छी।
Ø भए सके तँ इतिहास बनि चुकल नाम आ पात्रसँ बचअकेँ चाही।
उपरोक्त गुणक समाबेससँ कोनो विहनि कथाकेँ श्रेष्ठ विहनि कथा बना सकैत छी।
नीक गुण सब लिखलौं
ReplyDeletedhanyvad Amit ji....
ReplyDelete