Friday, July 5, 2013

हमर माए

107. हमर माए

अधरतियामे गामक एक कोनपर बंदूक लुत्तीक संग गरजि उठलै ।किओ किछु बुझितै ताहिसँ पहिने कतेको लुक्का उठलै आ उठलै हर्ट एटैक करबै बला बमक तीव्र गर्जन ।गामपर आतंकवादी हमला भेल छलै ।लोककेँ गाम खाली करबाक आदेश देल गेलै ।डरे राता-राति गाम सुनसान भऽ गेलै ।आतंकी सब घरपर कब्जा कऽ लेलकै, मुदा एकटा वृद्ध अपन घरेमे रहलै ।ओ खाली नै केलकै, नै डेरेलै ।ओकर कहब छलै "ई हमर गाम अछि ।हमर माए अछि ।एकरा छोड़ि कऽ कोना चलि जाएब ?जे भागि गेल से डरपोक छल ।कहू किओ अपन माएकेँ ककरो दोसरकेँ हाथमे दै छै ?जँ सब बेटा एक जुट भऽ जेतै तँ ककर मजाल छै जे माएसँ दूर भगा देतै ?"

अमित मिश्र

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