Sunday, July 28, 2013

सर्वश्रेष्ठ प्राणी

126. सर्वश्रेष्ठ प्राणी

एकटा कोइली आ एकटा कौआ बतियाइत छल ।
-गै कौआ बहिन, एकटा बात कहियौ ।
-हँ गै बहिन, कह ने ।
-देखहीं, हम तोरा एतऽ अण्डा देलियौ आ तूँ हमर बौआकेँ खुआ-पिया कऽ पोसलें ।किने ।
-हँ कोइली बहिन, ई तँ अपना दुनू बहिनमे प्रेम छै ।
-सएह तँ ।जानै छहीं ? आइ-काल्हि मनुख सब बाल-बच्चाक जनमक खबरि ककरो नै बतबै छै ।राता-राति हँसपिटलमे सन्हिया जाइ छै ।
-नै बुझलहीं बहिन, मनुख तँ सर्वश्रेष्ठ प्राणी छै ।ओ तँ किछु कऽ सकै छै मुदा...भितरिया बात ई छै जे आब मनुखकेँ अपने लोकपर विश्वास आ प्रेम नै छै ।
-कौआ बहिन, तखन तँ ओ मनुख नै भेलै ।प्रेम नै मने पशु भेल ।
-हँ गै कोइली बहिन ।जखन प्रेम अपने सबमे छै तखन तँ सर्वश्रेष्ठ प्राणी अपने सब भेलियै, किने ?हें...हें...हें...हें...
दुनू ठहक्का मारि मनुखतापर व्यंग्य वाण चला हँसऽ लागल ।

अमित मिश्र

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