Sunday, July 21, 2013

मरल मुँह

114. मरल मुँह

- हौ बुढ़बा ।जँ नीक चाहैत छहो तँ पेंसन हमरा दऽ दए ।
-अपन कमाएल टाका तोरा किए दियौ ?लोक बेटा जनमाबै छै सेवा करेबाक लेल, नै कि गारि सुनबाक लेल ।
-हौ एखन तँ गारिए दै छिअ ।जँ टाका नै देबऽ तँ तोहर मरल मुँह नै देखबऽ ।सड़ैत रहतऽ लहास ।हँ ।
-जखन जीयलमे मुँह नै देखै छें तखन मुइलाक बाद नै देखबेँ तँ कोनो जुलुम नहियें हेतै ।
-सएह ने ? ठीक छै ।पाइ नै देबहो तँ हम आइये माहुर खा लेब ।
- नै बौआ ।एना नै करिहऽ ...लए...टाका लऽ लए... ।हम अपन एक मात्र बेटाक मरल मुँह नै देख सकब ।जा जे करैक छह करऽ गऽ ... ।

अमित मिश्र

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