Tuesday, May 7, 2013

जुर्वाना

जुर्वाना

एक बेर एकटा चोर अकबरक शाही बगैचासँ किछु स्वादिष्ट आम तोड़ि लेलकै ।दोबारा, तेबारा लगातार तोड़ैत रहलासँ मालीकें शक भेलै आ एक दिन ओ चोर पकड़ा गेलै ।ओकरा दरबारमे आनल गेलै ।अकबर सब मंत्रीसँ पुछलनि जे एकर की उचित सजा हेबाक चाही? किओ फाँसी तँ किओ आजीवन जहल देबाक बात कहलक ।किओ कोड़ा मारबाक सजा कहलक तँ किओ कारी-पानिकें उचित बतेलक ।अन्तमे बिरबल बाजल,"महराज, एकरा छोड़ि देल जाए ।"
अकबर संग पूरा दरबार चौंक गेल आ एकर कारण पुछलक ।
बिरबल बाजल "हुजूर,एकरा कोनो कठोर सजा नै दियौ । बस छोट-छीन जुर्वाना दऽ दियौ ।"
अकबर मुस्कैत बाजलनि "उचित जुर्वाना बताउ ।"
"महराज, मुख्य राज पथपर एक किलोमीटर धरि आमक गाछ रोपबाक जुर्वाना देल जाए ।किएक तँ एहिसँ पथिककें छाहरि भेटतनि, वातावरण संतुलित रहत आ एहन-एहन चोरकें आम लेल शाही बगैचा नै आबऽ पड़तै ।एकरा ओहि ठाम मीठका आम भेटि जेतै ।"
दरबार बिरबलक जयकारासँ गुंजि उठल ।

अमित मिश्र

2 comments:

  1. ई विहनि कथा नहि भए कऽ, अकबर वीरबलक कथा भेल आ एहन तरहक अकबर वीरवलक कथा दुनियाँमे हजारोटा प्रचलित अछि |

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  2. बात सत अछि जे अकबर-बिरबलक हजारो कथा दुनियाँमे प्रचलित अछि मुदा ई मौलिक अछि आ एकर आकार विहनि बला छै तखन एकरा कोन कथा कहल जेतै ?

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