“अहाँक मैथिली बड्ड कमजोर
अछि”
“धूरि बु-- कहीँक,
हमर मैथिली बड़ कमजोर अछि | कमजोर की तागतवर केहनो अछि तँ, आ जकरा लग किछु छै हे नै
| जे जिनगी भरि अंग्रेजी वा हिंदीक घड़ीघंटा बन्हने अपनो घुमैत रहैए आ दोसरोकेँ ओहे
सिखाबैत रहैए ओकरासँ तँ नीक | रहल हमर खराप मैथिलीक गप्प तँ जखन जगदानंद मनु एहन
लोक मैथिलीक मओ नै जनै वला आइ अ०आ० केँ पाँछा घुमि गजलक सेकड़ा टपि गेल | लोशन कुमार
मैथिल म-थ म-थ करैत आइ मैथिल नाम राखि सभकेँ मैथिली सिखाबैए तखन तँ हमर कमजोरे अछि
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