माए, “बौआ बड्ड बुढ़ भेलाक कारणे हुनका अपन कोठलीसँ
निकलैमे दिक्कत होइत छनि तैँ दुवारे हुनकर भोजन हुनके कोठरीमे पठा दै छियनि |”
नेना, “मुदा बाबी तँ दिन कए बारीयोसँ घुमि कऽ आबि
जाइ छथि तखन भोजनक समय एतेक किएक नहि चलल हेतैन |”
माए, “एहि गप्प सभपर धियान नहि दियौ, एखन ई सभ
अहाँ नहि बुझबै | बुढ़ सभकेँ एनाहिते है छैक |”
नेना, “अच्छा तँ अहुँक बुढ़ भेलापर अहाँक भोजन
एनाहिते एसगर अहाँक कोठरीमे पठाएल जाएत |”
अबोध नेनक गप्पक उत्तर तँ
माए नहि दए सकलखिन मुदा अगिला दिनसँ बाबीक भोजन सभक संगे होबए लगलन्हि |
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