“कि मालिक हमर छौंरा आएल रहै समान नहि देलहक |”
“ए रानी तोरा लेल समानकेँ कतए मनाही छै, बस
ई चानसन मुँह देखैक लौलसा रहेए आ रानी तोरासँ पाइ तँ मँगैत नहि छियौ तहन अपन सेबासँ
बंचित किएक कए देलह |”
“राम राम मालिक, केहन गप्प करै छ ओ तँ एखन
गुजरातसँ हमर मरदाबा आएल छै ओकरा बाद तँ ई गुलाबो आ तुँ .....| अच्छा मालिक आब हम
जाइ छी छौंराकेँ पठा देबै |”
“हाँ हाँ रानी किएक नहि,
संगमे नम्हर झोरा दऽ दिहै |”
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