Tuesday, May 21, 2013

दू बर्ख बड्ड नम्हर है छैक



 “सुनलीयै बलचनमाकेँ बेटा भेलैए।
 "हाँ, सुनलीयै तँ हमहूँ।"
 "राम-राम घोर कलियुग आबि गेलहि।
"एहिमे कलियुग आ द्वापरकेँ की गप्प भेलै।"
 “भेलै नहि, बलचनमा अपने दू बर्खसँ गुजरातमे पेट पोसने अछि आ एहिठाम ओकर कनियाँकेँ बेटा भेलै, ई कलियुग नहि तँ सत्ययुगक गप्प भेलै।
 "यौ महराज अहाँ किएक एतेक हिसाब किताब रखै छी। बलचनमाकेँ बेटा भेलै तँ भेलै। ओना ई गप सभ कलियुगक नहि द्वापरे त्रेताक छीयैक। बिसरि गेलियै राजासुधन्वा - मत्स्यगंधा आ व्यास जन्मक कथा। जखन ओहि कालमे पातपर वीर्य राखि पठावल जा सकैत छल तखन तँ आइ फेक्स आ ई-मेलक जमाना छैक आ सत्यक धरातलपर आउ तँ तीन महिनामे बकरीयो मिमिए लगै छै। ओनाहितोँ  दू बर्खक समय बड्ड नम्हर है छैक।"

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