Monday, September 10, 2012

बुढ़ि‍या दादी :: जगदीश प्रसाद मण्‍डल


नै जानि‍ दादीकेँ एहेन तामस कि‍अए भऽ गेलनि‍। एक तँ ओहुना बैशाख-जेठक सुखाएल जारनि‍ चरचराइत रहैए, खढ़क छौड़ैत-छार पटपटाइत रहैए, तइ हि‍साबे दादीयोक खटखटाएब अनुकूले भल। दादी माने तीन पीढ़ी ऊपर नै कि‍ गामक बनौआ दादी। नवो-नौताड़ि‍ बनौआ दादी होइते छथि‍, उचि‍तो छैक। गुड़-चाउर जे जते खेने हेतीह।

आठ-दस बर्खक पोता अपन कुत्ताकेँ अनठि‍यासँ लड़ा देलक जइसँ कोनचरक सजमनि‍क गाछ टूटि‍ गेलनि‍, तेकरे तामस दादीकेँ पोतापर रहनि‍। जखन टुटलनि‍ तखन बाधमे रहथि‍ तँए नै देखलखि‍न। तखन ततबे, कुत्तेक झगड़ा भरि‍।
बारह बजे बाधसँ अबि‍ते, जहि‍ना हजारो चेहराक बीच प्रेमी-प्रेमि‍कापर जा अँटकैत, तहि‍ना दादीक नजरि‍ सजमनि‍क गाछपर पहुँचि‍ गेलनि‍। लटुआएल-पटुआएल पड़ल देखलखि‍न। नरसि‍ंह तेज भेलन, मुदा परि‍वारक सभ गबदी मारि‍ देलक। तँए अधडरेड़ेपर तामस अँटकि‍ गेलनि‍। जँ अकासक पानि‍केँ धरती नै रोकए तँ पताल जाइमे देरी लगतै?

दोसरि‍ साँझ जखन बाधसँ घूमि‍ कऽ दादी एलीह तँ नीक जकाँ भाँज लगि‍ गेलनि‍ जे पोताक कि‍रदानीसँ गाछ नोकसान भेल। तामस लहड़ए लगलनि‍। छौड़ाकेँ सोर पाड़लखि‍न-
अगति‍या छेँ रौ, रौ अगति‍या?”

नाओं बदलल बूझि‍ गोवि‍न्‍दोकेँ अवसर भेटलै। अन्‍हारे गरे चौकी-दोगमे अन्‍हारे गरे चौकी दोगमे नुका रहल। अपने फुड़ने दादी भट-भटाए लगली-
भरि‍ दि‍न छौड़ा एम्‍हर-सँ-ओम्‍हर ढहनाइत रहैए आ कुत्ता-वि‍लाइ तकने घुड़ैए। मुदा लगले मन ठमकि‍ गेलनि‍। भरि‍सक अंगनामे नै अछि‍, खाइ-बेर भेल जाइ छै, कतए छि‍छि‍आइ ले गेल अखन धरि‍ अंगनामे नै अछि‍। पुतोहुकेँ पुछलखनि‍-
कनि‍याँ, बौआ कहाँ अछि‍।
बेटाकेँ अपन जान सुरक्षि‍त बूझि‍ पुतोहु बजली-
बड़ी कालसँ नै देखलि‍ऐ।
पोताकेँ तकैले बुढ़ि‍या दादी वि‍दा भेली।
सुतै बेर जखन गोवि‍न्‍दा अलि‍साएल आबि‍ दादीकेँ कहलक-
दादी बि‍छान बीछा दे।

गोवि‍न्‍दक बात सुनि‍ दादी पि‍घलि‍ गेली। ओछाइन ओछा कऽ सुता देलखि‍न। सेन्‍धपर पकड़ल चोर जकाँ, क्रोध फेर कड़ुआ गेलनि‍। मुदा नि‍नि‍याँ देवीक करोरामे देखि‍ क्रोध घोंटए लगली। अखन छोड़ि‍ दइ छि‍ऐ, भोरहरबामे पेशाब करैले उठेबे ने करब। बुझतै केहेन होइ छै सजमनि‍क गाछ तोड़नाइ। जाबे सभ करम नै कराएब ताबे चालि‍ नै छुटतै। 
भाेरहरबामे जखन गोवि‍न्‍द दादीकेँ उठबैत बाजल-
दादी-दादी।

दादी गबदी मारैक वि‍चार केलनि‍। मुदा तीन बेरक बाद तँ गरि‍ऐबे करत, तइसँ नीक जे तेसर हाकमे अपने बाजि‍ देबइ। की हेतै, एकटा सजमनि‍येँक गाछ ने टुटल। फेर रोपि‍ लेब।

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