Monday, September 10, 2012

स्‍कूलक खि‍चड़ी :: राम वि‍लास साहु



एकटा अभि‍भावक तमसा कऽ स्‍कूल पहुँचलाह। हेड मास्‍टरकेँ उपराग दैत बजलाह-
पढ़ाइ-लि‍खाइ तँ जएह-सएह होइए। खाली खि‍चड़ीयेमे बेहाल रहै छी। जखन धि‍या-पुता पढ़बे नै करतै तखन तँ हाकि‍म-हुकुमक तँ बाते छोड़ू चपरासि‍यो नै बनतै। एसँ नीक तँ प्राइवेटे स्‍कूल ने जइमे दूटा पाइये ने लगै छै, पढ़ाइ तँ नीक होइ छै। आइ तक ऐ स्‍कूलक बच्‍चा पढ़ि‍ कऽ कोन नाम कमेलकै।
मास्‍टर सहाएब शान्‍त भावसँ अभि‍भावककेँ समझबैत बजलाह-
देखू, तमसाउ नै कोनो हम खि‍बै छी खि‍चरी। ई तँ सरकारक योजना छी। ऐ योजनासँ लाभो बहुत छै। नि‍च्‍चासँ ऊपर धरि‍ सभ माले-माल होइ छै।
अभि‍भावक बजलाह-
से केना?”
मास्‍टर सहाएब कहलखि‍न-

सहीमे प्राइवेट स्‍कूलक बच्‍चा सभ पढ़ि‍-लि‍खि‍ हाकि‍म-हुकुम बनै छै। आ ईहो देखैत हेबै जे ओ सभ माए-बाप, गाम-समाजकेँ छोड़ि‍ एवं मातृभूमि‍केँ बि‍सरि‍ जाइए, बूझू बौर जाइए। से तँ ऐ स्‍कूलक बच्‍चामे नै हाेइए।

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