Monday, September 10, 2012

पटोटन :: जगदीश प्रसाद मण्‍डल


पटोटन

अद्राक पहि‍ल बरखा। मास्‍टर सहाएब आ बड़ाबाबू, दुनू गोटे एक्के मोटर साइकि‍लसँ गामसँ झंझारपुर जाइत रहथि‍। साते कि‍लोमीटर झंझारपुर तँए दुनू गोटे गामेसँ जाइ अबै छथि‍। थानाक बड़ाबाबू नै कोर्टक बड़ाबाबू देवनन्‍दन आ हाइस्‍कूलक शि‍क्षक प्रेमनन्‍दन। ओना दुनू गोटे शहरूआसँ बेसी गमैइये छथि‍ मुदा तैयो कलप कएल कपड़ा पहीरि‍ कऽ ऐबे-जेबे करै छथि‍।
पँचकोशीमे सि‍ंहेश्वरक नाओं एकटा नीक घरहटि‍याक रूपमे लोक जनैत। ओना नाउऍं तँ नाआें छी, तइमे तँ कमी नै भेलनि‍ अछि‍ मुदा परदेशि‍याक कमाइ आ इन्‍दि‍रा आवासक चलैत काजमे कमी तँ भइये गेलनि‍ अछि‍। उमेर बेसी भेने मनमे खुशि‍ये होइत रहै छन्‍हि‍ जे भने काज कमि‍ रहल अछि‍। एक तँ परदेश भगने नव घरहटि‍या नै बनि‍ रहल अछि‍, दोसर हमहीं सभ जे पुरना पाँच गोटे छी सएह कते सम्‍हारब।
ब्रह्मपुर गाममे प्रवेश करि‍ते बुन्‍दाबुन्‍दी पानि‍ शुरू भेल। बड़ाबाबू ड्रइवरी करैत आ मास्‍टर सहाएब पाछूमे बैसल। बुन तँ गोटगर पड़ैत रहै मुदा कम-सम। बीत-डेढ़ बीतक दूरीपर बुन खसै तँए कपड़ा सोखनहि‍ चलि‍ जाइत मुदा जते आगू बढ़ैत छलाह तते मानि‍यो बेशि‍आएल जाइत। बढ़ैत-बढ़ैत सि‍ंहेश्वर घर लग अबि‍ते अँटकि‍‍ जाएब नीक बुझलनि‍। सड़केपर गाड़ी लगा दुनू गाटे सि‍हेश्वरक दरबज्‍जापर पहुँचलाह। दरबज्‍जा कि‍ मालक घर। अाधा घरमे माल बन्‍हैत आधामे दरबज्‍जा बनौने। दरबज्‍जा कि‍ एकटा चौकी मात्र। सि‍ंहेश्‍वर अपने दरबज्‍जेपर। चारसँ चुबैत बुन्नकेँ नि‍हारि‍-नि‍हारि‍ देखैत जे रौदमे फाटि‍ गेल अछि‍ आ कि‍ कौआ खोदने अछि‍। मुदा लगले मन पड़ि‍ गेलनि‍ आद्रा आबि‍ गेल, घर कहाँ छाड़लौं। तखने दुनू गोटे पहुँचलाह। चौकीपर उठि‍ सि‍ंहेश्वर दुनू गोटेकेँ बाँहि‍ पकड़ि‍ चौकीपर बैसबैत अपनो बैसलाह। तड़तड़ौआ बरखा शुरू भेल। कलप कएल कपड़ापर खढ़क चुबाटसँ कपड़ा दुइर होइए। एक तँ बेचारेकेँ अपने मनमे दुख होइत हेकतनि‍ जे केना साल खेपब तइपरसँ हमहूँ भारी बना दि‍अनि‍ ओ उचि‍त नै। दागे लगत तँ कि‍ हेतै, कोनो कि‍ केरा-दारीमक दाग छी जे नै छूटत। मुदा बड़ाबाबूकेँ मुँहसँ बजा गेलनि‍-
अहाँक नाओं पँचकोसीमे अछि‍ सि‍ंहेश्वर भाय, मुदा अपना घरक हालत एहेन बनौने छी?”
बड़ाबाबूक वि‍चारसँ सहमत होइत सि‍ंहेश्वर बाजल-

बड़ाबाबू, गामसँ लोककेँ भगने गाममे काज बढ़ि‍ गेल अछि‍, मुदा काजक धुनि‍ तेहेन पकड़ि‍ लेलक जे ठेकाने ने रहल जे बरखा मास आबि‍ गेल। आब पानि‍ छुटैए तँ नै छाड़ल हएत तँ पटोटनो तँ दइये देबै।

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