Saturday, August 3, 2013

कोखि

130. कोखि

लड़काक कानपटीपर बन्दूक राखि चमेलीसँ वियाह कराओल गेलै ।चमेलीक बाबू अपन शक्तिपर खुश होइत छलथि ।चमेली जखन सासुर आएल तँ ओकर दुनियें बदलि गेलै ।ओकर घरबला ओकरा प्रेम नै दैत छलै ।खाइ-पिबैक दिक्कत नै छलै मुदा वैवाहिक जीवन नरक बनि गेलै ।दस वर्षक बाद चमेली नैहर आएल ।बदलल स्वभाव आ उदास मोन देख माए बाजलीह "गै चमेली, एते उदास किए छें ?" चमेलीकेँ चुप्प देख माए फेर बाजलीह "अच्छे, बूझि गेलियै ।एते वर्ष बितलाक बादो बाल-बच्चा नै भेलौं तेँ उदास छें ।चल काल्हिये कोनौ बाबासँ झड़बा दै छियै ।भूत-प्रेत भागि जेतौ ।"
माएक बात सूनि चमेली कानैत बाजलीह "गै, हमरा लेल भूत-प्रेत तँ हमर बापे छै ।हमरा कोनो ओझाक जरूरति नै छै ।हमर बापकेँ कहि दहीं जे फेर मरदाबाक कनपटीपर बन्दूक राखि बच्चा जनमेबाक सबटा जोगार अपना सामने कऽ दै ।जखन हमरा डूबाइये देलनि तखन लाज केहन ?"
बेटीक बात सूनि माएकेँ किछु नै फुरा रहल छलै ।

अमित मिश्र

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