Saturday, October 19, 2013

चक्कर

158. चक्कर

"रौ छौड़ा देखै की छहीं अल्हुआ ?अरे मैगियाक नाक-कानमे जे चमकौआ सोना छै से झीक ले...अरे मरदाबाकेँ छोड़िहें नै...रासा लऽ कऽ बान्ह ।" पिपरक गाछ तरसँ पूर्वमुखिया जी शेर जकाँ चिकरैत बाजलनि ।चेला सब आदेशक पालन केलक ।महिलाक नाक-कान शोणित चुआबऽ लागल ।
"सार मरदाबा अपने विधवा भाउज संग चक्कर चलबैत अछि... आ थू" पूर्वसरपंचक मूँहसँ निकलल एक लोइया थूक घासपर पसरि गेल ।ओ ठोर टेढ़ करैत बाजलनि "रौ दुनूकेँ कहीं एकरा चाटै लेल...तखने प्रायश्चित हेतै ।" मरद कहैत रहल जे ओ हमर माए सन छथि मुदा... चेला सब आदेशक पालन करैत जबरदस्ती दुनूसँ थूक चटबेलक ।पंचायत समाप्त भेल ।पूर्व सरपंज आ मुखियाक जय जयकार हुअ लागल ।"आइ-काल्हि तँ चक्कर चलबै बलाकेँ मारि देल जाइ छै ।धन्य नेता जी जे जान बचा देलखिन ।"
मुदा...मुदा दुनू देउर-भाउजकेँ ई अपमान सहन नै भेलै ।दुनू रातिमे फसरी लगा लेलक ।लोकक शक विश्वासमे बदलि गेलै ।आब एकरा दुनूमे चक्कर छलै वा नै, मुदा अगिला चुनावमे दुनू नेताक चक्कर जरूर चलि गेलै ।

अमित मिश्र

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