नीन टूटि गेल रहए, मुदा
विछानपर पड़ले रही आकि मैझला बेटा उठबैत कहलक- “बाबू चितकबरा काकाकेँ खस्सी
चोरि भऽ गेल।”
पुछलिऐ- “तूँ केना बुझलिही।”
कहलक- “एँह, सौंसे गामक
सभ बुझलकै।”
सगरे यएह गप-सप्प होइ
छै। घटनो आ जिगेसोक खियालसँ बिदा भेलौं। चोर-मोट सभ सोझेमे।
घटना भेल कते गोटे केसमे
फँसल।
शुरूमे जमानत-तमानत करा
सभ निचेन भऽ गेलौं।
बीस बर्ख बाद वारंटक संग
चौकीदार पहुँच गेल।
बहुत दिन भेने केस फड़ियबैक
विचार भेल। विचार इहो भेल जे जेकर घटना छिऐ ओ जँ अपन बूझि खर्च करए तँ नीक
बात।
अपना सबहक दौड़-बड़हा ओकर
खर्च।
चितकबड़ाकेँ पुछल गेल।
ठोकल मुँहे बाजल- “हमहीं कहने रहिहह।”
अपन सन मुँह लेने चलि
एलौं।
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