मैथिली विहनि कथाक कथ्य आ
शब्दावलीमे बड्ड रास गुणात्मक परिवर्तन आएल अछि। ओइ दृष्टिकोणसँ जँ विहनि कथा सभकेँ देखी तँ ज्योति सुनीत चौधरीक “नबका पीढ़ी” आ “घर दिसका रस्ता” विषयवस्तुक दृष्टिसँ २१म शताब्दीक विहनि कथा थिक। नबका पीढ़ीक बच्चा सभ वृद्ध दम्पतिक मोन खराप भेलापर चिन्तित होइ छथि तँ बाहर रहि रहल बेटा, बेटा जकाँ नै डॉक्टर जेकाँ गप करऽ लगैए। “घर दिसका रस्ता”मे बिसलेरी पानिसँ एयरपोर्ट होइत, माटिक ढिमकाकेँ काटि बनल विद्यालय आ समाजक विकृतिकेँ उज्जर मटमैल रंगमे टंगने विधवा युवती धरिक चर्च भेटि जाएत। हिनकर “पानिमे खेती” विज्ञान विषयक मैथिलीक पहिल विहनि कथा अछि।
दुर्गानन्द मण्डल जीक “किसना मुट्ठी” विहनि कथा लेल खाँटी शब्दावलीक बेगरता देखबैत अछि। अंग्रेजी शब्द भण्डारक दक्षतापूर्ण प्रयोग जेना आर. के. नारायण करै छथि तहिना दुर्गानन्द मण्डल मैथिली शब्दावलीक दक्षतापूर्ण प्रयोग करै छथि। रामप्रवेश मण्डल अही तरहक शब्दावलीक प्रयोगसँ साधारणो विहनि कथाकेँ असाधारण बना दै छथि। राजदेव मण्डल जेहने कविता लिखै छथि, तेहने उपन्यास आ तेहने विहनि कथा, सभ तरा-उपरी। कथ्य आ
शिल्पक संतुलन लेल ओ
ओहिना प्रसिद्ध नै छथि। बेचन ठाकुर अंधविश्वासक सामाजिक उपादेयतापर विहनि कथा लिखि जाइ छथि (फुसिक फल)।उमेश मण्डलक रुपैयाक ढेरी नारी सशक्तिकरणपर मैथिलीक सर्वश्रेष्ठ विहनि कथा अछि। जगदीश प्रसाद मण्डल, परमेश्वर कापड़ि, कौशल कुमार, भवनाथ झा, शम्भु कुमार सिंह, जगदानन्द झा “मनु”, लक्ष्मी दास आ रामलोचन ठाकुरक विहनि कथामे जेम्स जॉयसक एपीफेनी स्पष्ट रूपसँ दृष्टिगोचर होइत अछि जे आन मैथिली विहनि कथाकारमे ओत्ते स्पष्ट रूपमे नै देखबामे अबैत अछि। आशीष अनचिन्हार, अमित मिश्र आ चन्दन कुमार झा नवका पीढ़ीक विषय परिवर्तन आ
प्रयोगक साक्षी छथि। ओमप्रकाश झा क “स्पेशल परमिट” आ मिहिर झा क “१०० टाका” कथ्यक नूतनता आ भिन्नताक कारण मैथिली विहनि कथाक इतिहासमे खास स्थान राखत। सन्दीप कुमार साफीक “अन्ध विश्वास” बेचन ठाकुर जीक “फुसिक फल”क उल्टा अछि, आ ई
दुनू विहनि कथा अपन प्रभावसँ देखबैत अछि जे कोना अन्धविश्वासक पक्षमे आ विपक्षमे रहि कऽ दुनु गोटे कोना अपन-अपन विहनि कथाकेँ सोद्देश्यता प्राप्त करबैत छथि। कपिलेश्वर राउतक “छूआ-छूत”
ऐ विषयपर मैथिलीक सर्वश्रेष्ठ विहनि कथा अछि। शम्भु मंडलकेँ दुर्गापूजामे भगवतीकेँ
लड्डू छुएवाकक लेल जाइसँ पण्डितजी रोकै छथिन्ह, जँ कथा एतहि खतम भऽ जइतए तँ ओ सामान्य
कथा बनि सकितए मुदा कपिलेश्वर जी ओइ कथाकेँ शम्भु मण्डलक चाहक दोकान धरि लऽ गेला, जतऽ
ओ अपनासँ छोट जातिकेँ बेंचपर बैसबासँ रोकलनि आ से एकरा ऐ विषयपर मैथिलीक सर्वश्रेष्ठ
विहनि कथा बनेलक। मुन्नाजीक “रेवाज” विहनि कथा लिअ। गाम घरमे मसोमातकेँ लोक डाइन कहै छै मुदा मुइलाक बाद घराड़ी लेल ओकरा आगि देबा लेल उपरौंझ होइ छै। एतऽ मुदा विहनि लेल जे बीआ छीटल गेल छै से कने उच्च स्तरक छै। एतऽ मृतककेँ बेटा नै छै मुदा पत्नी आ बेटी छै। से जखन मृतकक भाइ कोहा उठबऽ चाहैए तँ विधवा ओकरा रोकै छै आ बेटीकेँ कोहा उठबैले कहै छै। आ संग के देत ऐ नव रेवाजमे, जे आइयेसँ प्रारम्भ भेल अछि। तखन उत्तरो भेटैए- निपुतराहा सभ। जवाहर लाल कश्यपक “हम्मर माय तोहर माय” आ
“भगवानक भाग्य” अद्भुत रूपेँ कथ्यकेँ प्रस्तुत करैत अछि।
मैथिली विहनि कथा संसारक संख्यात्मक आ गुणात्मक अभिवृद्धि हर्खित करैबला अछि।
Saturday, August 4, 2012
मैथिलीक किछु श्रेष्ठ विहनि कथा
Labels:
गजेन्द्र ठाकुर
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment