Sunday, August 5, 2012

अन्तिम जगह

फेकना | माए बाऊ की नाम रखलकै गाममे केकरो  नहि बुझल आ किंचीत ओकरा अपनों इआद होए की नहि | ओ एहि उपनामसँ गाम भरिमे जानल जाइत छल | खेतिहर मजदूर मुदा जीवन भरि उर्मील बाबूक  छोरि दोसरकेँ खेतमे  काज नहि कएलक | हुनके जमीनपर जनमल आ हुनक एवं हुनके परिवारकेँ जीवन भरि  सेबा  करैत एहि संसारसँ अपन पार्थिक शरीर छोरि बिदा भए गेल | जेकर जन्म भेलैक ओकर मृत्यु निश्चिन्त छैक एहि सत्यकेँ मोन राखि फेकना समांग सब ओकर अन्तिम क्रियाक तैयारीमे लागि गेल |
उर्मिल बाबू नोत पुरै लेल दोसर गाम गेल रहथि | गामक सीमामे पएर राखिते  मांतर कएकरोसँ फेकनाक मृत्युक समाचार भेट गेलन्हि  | सुनि दुखी मोने  घर दिस डेग झटकारलन्हि  | किछु दूर एला बाद रस्तेमे हुनका फेकनाक  शवयात्राक दर्शन भेलन्हि | फेकनाक  समांग सभ हुनका देख ठमैक गेल | उर्मिल बाबू चटे जा कए फेकनाक  झाँपल मुँह उघारि ओकर मुँह देखला आ नम आँखिसँ फेकनाबेटासँ पूछलथि,  "अग्निदाहकेँ व्यबस्था कतए छैक |"
" ठूठी गाछीमे मालीक |"
" दूर बुरि कहिंके, कनीक हमरो आबैक इंतजार तँ  करै जैतअ, जीवन भरि हमर जमीन पर काज केलक आ आब मूइला बाद ठूठी  गाछी.... | चलअ हमर कsलम चलअ, हमर कsलममे नहि जगहकेँ कमी अछि आ नहि गाछक ओतए दुनूक व्यबस्था छैक "  ई कहैत उर्मिलबाबू आगू-आगू आ सभ हुनक पाछु-पाछु हुनकर कsलम दीस बिदा भए गेल |  
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जगदानन्द झा 'मनु'

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