Tuesday, May 15, 2012

अन्ध विश्वास- सन्दीप कुमार साफी


-काकी गोर लगै छियनि, बैसथु।
-के, उड़ीसावाली कनियाँ।
-हँ काकी, निके रहै छथि।
-की ठीक रहब कनियाँ, तैयो ठीक छी। बुढ़-पुरान भेलौं, हमरा सभकेँ तँ पुरबा हवा जान लेबऽ लगैए। सौँसे डाँर ठेहुन बातरससँ कनकनाइए। कोनो दवाइ नै काज करैए।
-आबथि, बैसथु। एक तँ कतेक दिन पर भेँट भेलथियऽ।
-नै कनियाँ। आँगनमे बड्ड काज छै। आइँ यै कनियाँ, भुखनो बच्चा आएल अछि?
-हँ काकी, मरनीक बाबुओ एलखिन।
-कनियाँ बच्चा सभ सेहो एल्न्हि।
-नै काकी। अखैन बच्चा सभक गरमीक परीक्षा चलै छै, तहि दुआरे ओकरा सभकेँ नै अनलिऐ। आब गर्मी छुट्टीमे सभ आम लिच्ची खाइ लए अबै छन्हि।
-आँइ यै कनियाँ, मरनी तँ आब बियाहैवाली भऽ गेल हएत।
-हँ काकी, ओकरे कतौ लड़का ताकै गेल छथिन। काकी माँथ केहेन लागै छनि। आबथु कनी तेल दऽ दै छियनि।
-नै कनियाँ। आइ जाए दिअ, आउर दोसरो दिन आएब।
-माँथ फहराइ छनि तेल बिनु।
-से तँ ठीके कहै छी कनियाँ। हमर रुसना डिल्लीसँ हमरा लए एगो नवरतन तेल ठंढ़ा बला, पाँचटा साबुन नहाइ बला, दू किलो सर्फ पठा देलक, जे माय लगा जे किछु घटतौ तँ फोन करिहिएँ।
ने अखैन कनियाँ रवि रायकेँ समय छै, भूसा गर्दा सभ माथमे भरि जाइत छै।
-बड्ड गपशप केलौं कनियाँ, आब कनी जाए दिअ कनियाँ।
-ठीक छै काकी जाथु। हमहूँ भानस करऽ जाइ छी काकी। काकी हिनका भनसा भऽ गेलनि।
-नै कनियाँ। हमहूँ जाइ छी। कनीक पछुआरमे सँ भोरे अरिकौंछ तोड़लिऐ, तकरे चक्का बना कऽ झोरेबै, कनीक आमिल दऽ कऽ। तेहन हमर पुतोहु भेल कनियाँ जे अखैन तक दालि तरकारी नून, से नून-जाउर बना दैए, कहियो अनूने। कहियो अन तीमन नीक नै बनबैए। कनियाँ अहाँकेँ नीक लगैए अरिकौंछ।
-हँ काकी, हमरा सबकेँ कतऽ पाबी।
-ठीक छै तऽ हम अपना छोटा नातिन दिया पठा देब बाटीमे। जाइ छी कनियाँ।
-बड़की दीदी, बड्ड गप्प सरक्का चलै छलै रुसना माएसँ। की बात छै, अहूँकेँ गुण जादू सिखबाक अछि की?
-नै छोटकी। तोरा सभकेँ यएह पपियाहा मन सभ दिन मन खराप राखै छौ।
-नै यै दीदी। एको महिना नै भेलै, सुगौनावालीकेँ देहपर पाँचटा देवी पठौने छलै। कतेक ओझा गुणी एलै, तखन जा कऽ कनीक अन्न-पानि खाए लगलैए। सभ कहै छै हकल डाइन छै। छोटका बेटाकेँ मारि कऽ सिखलकैए।
-छोड़ सभ बात। तूँ सभ गामघरमे रहि कऽ अहिना सबकेँ डाइन आउर जोगिन कहै छिहिन। सभ अन्धविश्वास छिऐ। समाजमे ईएह सभ बातसँ झगड़ा होइत रहैए आउर एक दोसरकेँ डाइन कहैए।

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