Sunday, May 6, 2012

जवाहर लाल कश्यप- हम्मर माय तोहर माय



बेमार बुढ मायक ठीका अहीं लेने छी, औरो बेटा छन्हि ने,  हुनकर कनियाँ सभ चैनसँ रहथि आ हम बुढ आ बच्चामे परेशान रहू। ई नै हएत।
कनियाँक बात सुनि हम सोचलहुँ जे छोटकाकेँ फोन कऽ कहि देब जे  मायकेँ छ महिना अपना लग राखि लहक ,तोरो  तँ माय छथुन्ह्।
तखने बचपनक एकटा बात मोन पड़ि गेल ,बच्चामे दुनु भाय झगड़ा  करैत छलहुँ जे हम्मर माय-हम्मर माय आ आब ओकरासँ पिन्ड छोड़ा रहल छी तोहर माय -तोहर माय।

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