Wednesday, June 6, 2012

विहनि कथा--भूत


विहनि कथा--भूत

चारि वर्षक बाद रामलाल बम्बइ सँ गाम आबि रहल छल । बम्बइ मे नामी- नामी जगह पर चाट आ छोला-भटूराक स्टाल लगबै छलैए । कमाइ नीक भ' जाइ छलै ।गाम मे माँ-बाबू बड गरीब छलै तेँए कोनो बैँक मे ककरो खाता नै खुलल छलै एहि करणे रामलाल अपन चारि वर्षक कमाइ के अपना संगे बैग मे लेने आबै छल । भारतीय ट्रेनक सफर , बिहार मे एला के बाद चुट्टीक चालि सँ चलैत ट्रेन 10 घंटा विलम्ब सँ समस्तीपुर पहुँचल । राति के 10 बाजै छलै मुदा गाम जएबाक एकटा गाड़ी भेट गेलै । पाइ संग रहबाक कारण रामलाल गाम जल्दी पहुँच' चाहै छलैए । तेए गाड़ी पकड़लक आ 12 बजे गाम सँ 1 किलोमीटरक दूरी पर बस-स्टेँड मे उतरल ।गामक बस स्टेँड आ राति के 12 बजेत छल , कोनो रिक्शा नै भेटलै अंतत: पैदल गाम दिश विदा भेल । रस्ता मे एकटा गाछी छलै ,पूनमक राति तेँए विनु कोनो ड'रक रामलाल गीत गाबैत चलि रहल छल । तखने मनमोहक खुशबू ओकर नाक मे घुसलै ओ मदहोश भ' गेलतखने मनमोहक खुशबू ओकर नाँक मे घुसलै ,ओ मदहोश भ' गेल । संगे दू टा साया उप्पर सँ नीच्चाँ धरि उज्जर रंग मे राँगल देखाइ पड़लै । केश , पिपनी आ दाढ़ी दप-दप उज्जर छलै । फेर सुनाइ पड़लै भयानक ठहक्का । रामलाल हनुमान चालीसा के पाठ शुरू क' देलक , मुदा ओहि भूत पर एकर कोनो असर नै पड़लै । ओ दुनू साया ल'ग एलै आ रामलाल के उठा क' पटैक देलकै । रामलाल के ओकर स्पर्श सँ माँसल शरीर जकाँ अनुभव भेलै । रामलाल चित भेल सड़ल पर खसलै आ ओकर हाँथ सँ बैग दूर जा खसि पड़लै । ओ साया बैग उठाब' लेल झूकल त' ओकर केश नीच्चा खैस पड़लै आ कारी घौनगर केश देखाइ दिअ लागलै । ओ बैग उठेलक आ केश सरियाबैत , गाछी मे सन्हिया गेल । रामलाल सड़क पर पड़ल देखैत रहल अपन जिनगीक कमाइ के ल' जाइत ओहि जीवित भूत के ।

अमित मिश्र ।

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