Friday, May 6, 2016

अगिला जनम

“डाँड़ टूटल जाइए भरि रा ति अहाँ सूतए नहि देलहूँ । बड़ हरान करै छ ी, अगिला जनममे अहाँ हिजड़ा होएब जे कोनो आओर मौगीकेँ एना तंग नहि कए सकब।”
“ठ ीक छै ! अगिला जनम अगिला जनममे देखल जेतै, एहि जनमक आनन्द तँ लए लिए । आ अगिला जनममे ओहि हिजड़ाक ब्याह जँ अहिक संगे भए गेलहि तँ ।"
@जगदानन्द झा 'मनु'

No comments:

Post a Comment