Saturday, May 28, 2022

मैथिलीलोकपरम्परामेनाथजोगीराजाभरथरीआगोपीचंद
डॉ. कैलाशकुमारमिश्र

A. लोकगाथाकेपरिवेश
हमरनानीलोकपरम्पराकेरसंरक्षिकाछली।शायदअक्षरमालाकेज्ञानहुनकानहिछलनिमुदालोकज्ञानजेनाकंठमेंकंप्यूटरकेकोनोचिपजकाँसेटछलनि।जखनहुनकालगजाईओकिछुनवआमहत्त्वपूर्णलोकव्यव्हारअथवाकथाअथवागीतअथवाफकरा, देवीदेवता, स्थानकविशेषताआदिकसन्दर्भमेंबातकरथि।गंभीरबात।एक-एकचीज़कअर्थस्पष्टकरैतविवरणदैतछली।नानीछलीबड़ाकुलीनघरसं।नानासेहोअपनासमयकेरजमींदारछला।मुदाबजबाकशैलीमेंनानीमधुछली।हमराकखनो“रौ”केतछोडू“हौ”नहिकहलनि।सदरिकाल“यौ”कहिसम्बोधनकरथि।बजबाकशैलीविलक्षण।भेटथितकुशलक्षेमपुछबाकअद्भुतअंदाज़।जखनकहियोनानीलगजाईअपनगामकसंस्कारकेतिलांजलिददी।बिनाडांट-फटकारकेनिकसंस्कारकोनासिखाबीईकियोनानीकव्यवहारसंग्रहणकसकैतछल।हमरजेठबहिनकेरनामविद्याआसरोजछनि।जखनकखनोनानीलगजाईतहुनकासबहककुशलक्षेमअहितरहेपुछथि: “विद्याकुमारीकोनाछथि?सरोजकुमारीकोनाछथि?” ईछलनिनानीकेव्यवहारअपनबेटीकबेटीकेप्रति;सेहोपरोक्षमें।
कहिनहिकथीलेलनानीकेहमरापरबड्डविश्वासछलनि।जखनजाईनानीघंटोंबातकरथि – कखनोघरमें, कखनोचिनबारलग, कखनोदलानपरतकखनोआमकगाछीमें।नानीकेशायदईभानछलनिजे “कैलाशकहियोनेकहियोमैथिलीलोकपरंपरालेलकिछुकरताह!” बहुतरासअजगुतगीतसबनानीगबैतछली।कतेकोबेरसोचलौंरेकॉर्डकरबआलिखियोलेब।किछुलिखबोकेलों।मुदादेवसंयोगईछलजेनानीबिचहिंमेंबैकुंठकरस्ताधलेली।
एकबेरनानीलगदालानपरबैसलगप्पकरैतरहीततबेमेंएकनाथजोगीहाथमेंसारंगीलेने, बढ़लदाढ़ीआभगबावस्त्रमेंसारंगीकेतारकेझनकबैतआबिगेलैक।बिनाककरोआज्ञाकेइंतजारकेनेतारकझनकारतेजभगेलैक।करुणरसझहरएलगलैक।नानीहमराकहलनि : “कैलाशजी, जोगीजीकेकुर्सीदियौनबैसबाकहेतु”।हमतुरतएककुर्सीकेझारिजोगीजीकेददेलयनि।जोगीजीसारंगीबजबैतमस्तभेलचुपचापकुर्सीग्रहणकेलनिआकनिकालमेंसारंगीकेरतानसंगेउच्चस्वरमेंगोपीचंदकेगीतगाबयलगला।धीरे-धीरेअगल-बगलसंबहुतस्त्रीगनआनेनासबजमाभगेल।किछुपुरुखसेहोएला।जोगीमहराजगीतगबैतरहला, सारंगीबजबैतरहलाआस्त्रीगनसबकनैतरहली।पूरावातावरणउदासीकेभावसंओतप्रोतछल।पूरातनहिपरन्तुआंशिकबातहमहुबुझलियैकआथोरेकद्रवितसेहोभेलौं।जोगीडेढ़घंटाधरिसारंगीकेतानपरगीतगबैतरहला।जखनसमाप्तभगेलनितकियोकपाई, कियोकअन्न, कियोकवस्त्रआदिदेलकनि।मामीकिछुजलखईदेलथिनआचाहसेहोभेटलनि।
जलखईसमाप्तकजखनजोगीजीचाहपीबलगलाओहीक्षणएकआश्चर्यजनकदृश्यउपस्थितभगेलैक।एक 90 वर्षकेरमहिलाहाथमेंलाठीपकड़नेआबिगेली।जोगीकेपकडिकानयलगली: “रेबुधना! हमछियौतोहरमाय! रेहमरबेरापारलगादेतखनफेरजोगीबनिजैहें।बापबुधनाबुधनारटैतप्राणत्यागिदेल्थुन।अपटीखेतमेंहुनकरआत्माभटकैतहेतनि।रेबइमान! रेबापकेतर्पणदे।संस्कारकर।रेवंशकरक्षककर!” बेचाराजोगीहतप्रभ! बुढ़ियाकिछुबजबाकअवसरदेबाकहेतुतैयारनहि।जोगीकहलकै, “बूढीमाँ, मैछपराजिलेकाहूँऔरजातिसेकुम्भकारहूँ।मैचारभाईहूँऔरमेरीमाँमरचुकीहै।मैआपकापुत्रयाकोईबुधनानहीहूँ।मेरीनाथसम्प्रदायमेंदीक्षासेपहलेमेरानामरमेशपण्डितथा।दीक्षाकेबादमेरानामजोगीमोतीनाथहै।” लेकिनबुढ़ियाओकरतर्कसुनबाकहेतुतैयारनहि।बड़ाबिपत्ति!
पुराणलोकसबऐल।ओकराचीन्हबाकप्रयत्नकेलक।सबकहलकैजेईबुधनानहिथिक. मुदापुत्रविछोहसंतरपैतमायकेबुझेनाईअतेकसहजकहाँ? अंतमेंसबकहलकै “ठीकछै, कोनोएकचिन्हबताऊजेबुधनाकेखाशछलैक?” कनिकाललेलबुढ़ियाचुपभगेल।फेरसोचैतबाजलि: “हमरबुधनाकेमध्यपीठपरतीनटानमहर-नमहरतीलछैक।” लोकसबजोगीकेपीठदेखेबालेलकहलकै।जोगीशुरूमेंपीठउघारबालेलतैयारनहिछल।अहिबातसंबुढ़ियाकेशंकाआरप्रबलभगेलैक।बुढ़ियाजोर-जोरसंकानि-कानिलोककेकहएलागलि: “देखूहेमाईदाई! ईबुधनेअछि।पीठनहिउघारिरहलअछि. हमदूधपियेनेछीएकरा।हमराआंखिसंकोनाअपनाआपकेबचालेत?” बुढ़ियाककानबसंद्रबितहोइतलोकसबमेंएकप्रमुखव्यक्तिजोगीकेसम्बोधितकरैतबजला: “देखूजोगीजी! एहि 90 वर्षकेरमहिलापरदयाकरू।हिनकापीठउघारिदेखादियौन।जंतीनतीललगातारएकठाममध्यपीठमेंनहिहैततअहाँकेहमरालोकनिछोडिदेबअन्यथाअहाँअतएसंनहिजासकैतछी।” कनिनानुकुरकेलाकबादजोगीपीठउघारबालेलतैयारभगेल।सबजिज्ञासासंजोगीकेपीठकनिरिक्षणकेलकमुदामध्यपीठमेंतीनतीलकतबातेनहिएकौतीलनहिरहैक।बुढ़ियाझमाखसलि।जोगीप्रफुल्लितहोइतसारंगीउठासारंगीबजबैतदोसरगामदिसबिदाभेल।
रातिमेंसुतेसंपहिनेनानीसंहमजोगीआसमस्तचीज़केसम्बन्धमेंजिज्ञासाकैल।नानीकहली: “हमराज्ञातछलजेअहाँईप्रश्नकरब. अगरअहाँनहिकरितोंतैयोहमजोगीआसारंगीकेसम्बन्धमेंआईचर्चाकरितौं.” हमरानानीकईकहबबड्डनिकलागल.
B. कथागाथाकआरम्भ: राजाभरथरीकेरवैराग्य
नानीकहलीजेईसबनाथसम्प्रदायजकरआदिगुरुगोरखनाथछथिकेरसदस्यछथि. हिनकासबकेअपनमिथिलामेंजोगी, सारंगीबलाजोगी, सिध्हजोगी,गुदडियाबाबा, घुनाबाबा, गोपीचंदबाबासेहोकहलजैतछैन।मान्यताछैकिजेरुईसकघरसंभागिजैतछलावोगोरखपुरजाबाबागोरखनाथकेनाथसम्प्रदायकेरचेलाभजैतछला।घर-द्वारसंउन्मुक्त।नेउधोकोलेनानेमाधोकोदेना।ओसन्यासीकेश्रेणीमेंआबिजैतछथि।संसारिकताकेरमोहजालसंमुक्त।ओतएहरेकजोगीकेएकटासारंगीदेलजैतछनि।वैहसारंगीबजबैतआगीतशिक्षामेंनिपुणभेलापरनगरआग्राममेंघरे-घरेभीखमांगिबारहबर्षधरिओजीवनव्यतीतकरैतछथि।बारहबरिखसंपहिनेहुनकाअपनमाएसंभीखलेबामेंसफलहोबाकछनि।जेसफलभगेलाओसिद्धजोगीआओकरबादओआनोकेगुरुकेरूपमेंदीक्षादसकैतछथि।
लोकपरंपरामेंजननायककेरूपमेंप्रतिष्ठितभर्तृहरिराजाकेजीवनवृत्तान्त, नीतिआउपदेशकेलोकशैलीमेंभरथरीमेंनाथजोगीसबगाबि-गाबिसुनबैतअछि. एहिलोकगाथाकेगोरखपंथीसाधुअपनसारंगीपरगबैतछथि. सारंगीकेकतौ- कतौचिकारेसेहोकहलजैतछैक।नाथसम्प्रदायकेरगुरुगोरखनाथतथामत्स्येन्द्रनाथकेरनिर्गुणसिद्धांतसंप्रेरितएहिलोकगाथामेंसामदेवीरानीआसमस्तविलासिताआराजभोगकेत्यागिभरथरीराजाकेनावैराग्यलेलनिआफेरजोगीकवेशमेंरह्लनिएकरबहुतकरुणविवरणअछि।
एहिलोकगाथाकेदूपाटमेंबाटिबुझलजासकैतअछि।प्रथमभागमेंराजाभरथरीकेवैराग्यतथापिंगलाद्वारापूर्वजन्मकेरकथा।दोसरभागमेंजंगलमेंगेलाकबादभरथरीराजाद्वाराकारीमृगकेवधकरबतथामातामैनावतीकेआज्ञाकेशिरोधार्यकरैतजोगीअथवावैरागीहोबाककथाछैक।एहिगेयगाथामेंयोग-भोगकेरअंतर्द्वंदतथाकरुणविप्रलम्भकेरप्रयोगचरमोत्कर्षपरभेटैतछैक।
कथाऐनाशुरूहोइतछैक।राजाभरथरीकेएकाएकवैराग्यउत्पन्नहोइतछनि।एकरकारणहुनकरजन्मकुण्डलीमेंवैराग्यलिखलछनि. फेरकी, भरथरीराजासामदेवीरानीकेछोडिभरलजुआनीमेंवैराग्यलेलजारहलछथि।रानीपहिनेतमनाकरैतछथिनलेकिनजखनभरथरीराजानहिमानैतछथितपुछैथछथिन: “ठीकछैकस्वामी! अहाँजारहलछीमुदाजएबाककारणतबतादियहमरा?” भरथरीराजाकहैतछथिन: “हेरानी, एकरएकमात्रकारणथिकहमरजन्मकुण्डलीमेंवैराग्यकयोग।” मुदासामदेवीरानीएहिजवाबसंसंतुष्टनहिहोइतछथिआभरथरीराजाकेबाहरजएबाकअनुमतिनहिदैतछथिन।भरथरीमोनमसोसिकरहिजैतछथि।भरथरीराजाएकप्रश्नरानीसंपुछैतछथिन: “हेरानीएकबातकेउत्तरहमराअहाँदिय! अपनसबहकसोहागरातिमेंपलंगकेरपाटीकुनकारनेबिखंडितभगेल?” भेलईरहनिजेजखनेसोहागरातिकेसमयराजाअपनरानीसंकामक्रियाकरबालेलउद्दतभरानीकेबाहुपासमेंलेमैलगलाएकाएकपलंगकेरफट्ठीटूटिगेलैक।रानीआराजाकेएहिबातसंकिछुअशुभकेरशंकाभेलनि।निर्णयकेलनिजेआईरातिसोहागनहिमनेताआनेकामेक्रियामेंलिप्तहेता।एकदिनमेंकोनोबैकुण्ठथोरेनेखासिपड़तैक?ओकरबादेराजाभरथरीकेमोनमेंविचित्रतरहकउचाटहोबएलगलनि।कखनोरानीलगजएबाकमोनेनेकरनि।वैहप्रश्नआईराजाअपनरानीसामदेवीसंपुछिदेलथिन।
रानीसामदेवीबजली: “राजन, एहिबातकेहमनहिजनैतछी।हलांकिहम्मरछोटबहिनपिंगलाअग्रज्ञानीअछि।ओकराभुत, वर्तमानआभविष्यसबचीज़केअपूर्वज्ञानछैक।मुदापिंगलादिल्लीमेंरहैतअछि।” राजातुरतअपनसारिपिंगलाकेचिट्ठीलिखदिल्लीसंमालवाएबाकप्रार्थनाकेलनि।चिट्ठीपाबिपिंगलाझटदनिराजालगजैतछथिआकहैतछथिन: “हेराजन! जोंहमसत्यकहबतअहाँस्वीकारनहिकपैब।ताहिपूर्वजन्मकसत्यजनबाकहठछोडिदेलजाओ।” मुदाभरथरीराजाअपनजिद्दपरअटलरहला।कहलथिन: “हेहमरसुन्नरि,दुलारूआगुनमतिसारिपिंगला, अहाँसत्यकहू।हमचेतन्यआकठोरह्रदयकेरपुरुखछी।केहनोसत्यकेस्वीकारकरबाकक्षमताहमरामेंअछि।अहाँनिश्चिन्तभजेसत्यछैकतकरबखानकरू।” आबपिंगलागंभीरभेलीआबजली: “ठीकछैकभरथरीराजा, अगरअपनेसत्यसुनबालेलआतुरछीतहमआईएहिक्षणअहाँकेसत्यबतादैतछी।हम्मरबहिनसामदेवीरानीजेअहिजन्ममेंअहाँकपत्नीछथिपूर्वजन्ममेंअहाँकमाँछली।ईबातअहीलेलहमअहाँकेनहिबतारहलछलों।ओनारानीसामदेवीकेसेहोपूर्वजन्मकेबातज्ञातछनिमुदाएहिजन्ममेंतओअहाँकपत्नीछथिताहिनहिबतेली।आबईअहाँऊपरअछिकीभोगमयबिलाशितापूर्वकजीवनजीबीअथवायोगमयकोनोजोगीअथवासंयासिकजीवन।” ईबातसुनिभरथरीराजाउदासभजैतछथि।माथाटनकएलगैतछनि।संसारआमानवीयसम्बन्धसबमेंमिथ्याभावलगैतछनि।
कनिकालबादभरथरीराजाअपननवव्याहितरानीसामदेवीसंआज्ञालैसिंहलद्वीपकेरघनघोरबोनमेंकारीमृगकेशिकारहेतुप्रस्थानकरैतछथि।मृगकेरपत्नीहरिनीभरथरीराजाकेशिकारीकेखेमादेखिअनिष्टकेरआशंकासंघबरैतअपनपतिकप्रानकरक्षामेंलागिजैतअछि।जखनकोनोंव्योंतनहिभेटैतछैकतस्वयंराजाभरथरीलगआबिजैतअछिआनिवेदनकरैतछैक: “हेराजा, अहाँहमरपतिकेरप्राणकेररक्षाकरू।हुनकरशिकारनहिकरू।हुनकाबदलामेंहम्मरशिकारकलिय!” लेकिनभरथरीराजाओकरनिवेदनकेस्वीकारनहिकरैतछथि. हरिणीनिराशभजैतअछि।
हरिणीहारिनहिमानैतअछिआपतिकप्राणकेररक्षाकोनोनेकोनोहालतमेंकरचाहैतअछि।दौरककारीहरिणलगजैतअछिआहाफैतकहैतछैक: “हेप्रिय, भरथरीराजाअपनशिकारीदलकेसंगबोनमेंघुसिगेलछथि।ओअहाँकशिकारकरता।अहाँतुरतएहिबोनकेछोडिकोनोआनठामचलिजाऊ।” कारीहरिणसोचलक: “आखिरभरथरीराजाअकारणहमराकथीलेलमरता? हमराहुनकासंगकोनोतरहकवैमनस्यनहिअछि।कथीलेलएहेनसुन्दरबोनकेछोड़ी,अनजानबोनमेंधक्काखेबाकहेतुजाई?” यैहसोचैतओहरिणीकेसम्बोधितकरैतबाजल: “हेहमरदुल्लरि! अहाँचिंताजुनिकरू।हमराराजानहिमारता।हमहुनकरकोनोअहितनहिकेनेछी।केवलवैहप्राणीदोसरप्राणीकेमारिसकैतअछिजेओकराकोनोतरहकदुःखदेनेहोइकअथवाअहितकेनेहोईक।हमराकोनोआनबोनमेंअनेरेनहिजएबाकचाही।” आबहरिणीमोनमसोसिकरहिजैतअछि।
इम्हरभरथरीराजाअपनशिकारीदलसंगेगहनबोनमेंबढ़लजैतछथि।एकाएककारीमृगकेदेखैतछथिआओकरावधकरबाकहेतुतीरकेधनुषकेप्रत्यंचापरचढ़ालैतछथि।माजलशिकारीजकाँलगातारसाततीरसंप्रहारकरैतछथि।सातमेंसछतीरगंगामाता, वनस्पतिदेवी, गुरुगोरखनाथ, एवंकारीमृगकेरसिंघसंबेकारभजैतछनिमुदासातमतीरसंमृगघायलभजैतअछि।शोनितसंभरलदेह, तीरकटीससंव्यथितमृगवेदनाकेआधिक्यमेंभरथरीराजाकेश्रापदैतछनि: “हेराजन! अहाँतनृशंशभहमरामारिदेलौं! आबहमरनेत्रअहाँअपनरानीकेश्रृंगारकरबालेलददेबनि; हमरसुन्दरकलात्मकसिंघकोनोराजाकेदरबज्जापरमढबाकहेतुददेबनि; हमरचामकेकोनोसाधुकेआसनबनेबालेलददेबनि; आअन्ततःहमरमाउसअहाँरान्हिबघारिकखालेब।मुदाएकबातस्मरणराखब, जहिनाहम्मरसत्तरिसैरानीकलपिरहलछथितहिनाएकदिनअहुकरानीसबकलपती।” अपनबातकेसमाप्तकरैतकारीमृगजेओहिबोनकहरिणसबहकराजाछल, अपनप्राणत्यागिदेलक।
भरथरीराजाद्रवितभगेला. तुरतहुनकाअपनाआपसंघृणाहोबएलगलनि।कोनोतरहेंओआबकारीमृगकेजानकरक्षाकरैचाहैतछथि।व्यथितभगुरुगोरखनाथकेकुटियामेंघुसैतछथिआअपनगलतीकेस्वीकारकरैतनिवेदनकरैतछथिन: “हेगुरुगोरखनाथ! हमरासंबड्डपैघपापभगेल।अहाँकोनोतरहेंअपनदैवीयशक्तिसंअहिकारीमृगराजकेप्राणकेपुनःवापसकदियौक!” गुरुगोरखनाथकहैतछथिन: “हेराजन! आबएकरापुनःजीवितकेनाईहमरावशकबातनहिअछि।” भरथरीराजापागलजकांकरलगैतछथि।माटिमेंओहरियामरैतछथि।कनैतबेहालभजैतछथिआगुरुगोरखनाथकेकहैतछथिन: “अगरअहाँअहिमृगाकेप्राणनहिवापसकेलौंतहमअहीठामअपनप्राणत्यागिलेब!” विवशभगुरुगोरखनाथकारीमृगराजकेअपनदैवीयशक्तिसंपुनःजीवितकदैतछथिन।मृगउठिकबैसजैतअछि।राजापरएकबेरफेरदयाभावदेखबैतकारीमृगअपनश्रापवापसललैतअछि।समस्तहरिणसमुदायमेंउत्सवकेरवातावरणभजैतछैक।हरिणराजकेरसत्तरसएरानीमस्तभनाचएलगैतछैक।कस्तूरीकेरसुगन्धसंबोनकवातावरणमहो-महोभजैतछैक।कारीमृगअपनरानीसबलगबिचरनकरएचलिजैतअछि।एहिदृश्यकेदेखिभरथरीराजाआनन्दविभोरभजैतछथि।
इम्हरभरथरीराजाकेह्रदयपरिवर्तितभजैतछनि।संसारक्षद्मलगैतछनि।मोनमेंसांसारिकसुखसंवैराग्यउत्पन्नभजैतछनि।गुरुगोरखनाथकेचरणपरबैसजैतछथि।कहैतछथिन: “हेगुरुदेव! हमरउद्धारकरू।हमराअपनशरणमेंलेलजाओ।अपनशिष्यबनाहमराधन्यकरू।” गुरुगोरखनाथकहैतछथिन: “राजन! हमकोनोस्थितिमेंअहाँकेअपनशिष्यनहिबनासकैतछी।एकरएकमात्रकारणथिकअहाँकराजसिकवृत्ति।अहाँराजाथिकहूँ।राजाभलाजोगीकोनाकबनत?” भरथरीराजाउत्तरमेंकहैतछथिन:  “हेगुरुश्रेष्ठ! हमअहाँकपथपरअहाँकचेलाबनिचलएचाहैतछी।एहिलेलसबकिछुभौतिकपदार्थकसंग-संगअपनचित्तकचीज़केसेहोत्यागकरकहेतुतैयारछी।” अंततगुरुगोरखनाथएहिशर्तपरकीभरथरीराजासन्यासीतबनिजेताहमुदाहुनकाअन्तिमदीक्षागोरखनाथतखनदेथिनजखनभरथरीराजाअपनरानीसामदेवीसं ‘माए’ कहिभीखमंगताह।
आबएतहिसंभरथरीराजानाथजोगीकेरूपधारणक, गेरुआवस्त्रपहिर, हाथमेंसारंगीलेनेगामे-घरेहोइतराजकद्वारपरअलखजगेनेगीतगाबिरहलछथि।रानीसामदेवीजखनभरथरीराजाकेजोगीकेभेषमेंदेखैतछथितपरेशानभजैतछथि।रानीहुनकाकोनोस्थितिमेंभीखदेबाकहेतुतैयारनहिभरहलछथिन।भरथरीराजाअहिबातपरहुनकाकहैतछथिनजेओअपननैहरचलिजाथु।मुदारानीनैहरनहिजैतछथिआउलटेभरथरीराजाकेराजमहलमेंकोनोएकांतस्थानमेंरहिजोगीकेभेषमेंतपस्याकरकहेतुकहैतछथिन।भरथरीराजाकहैतछथिन: “ठीकछै, अगरअहाँगंगाकेनिर्मलधारएतेलआबीतहमराजमहलमेंरहिकतपस्याकलेब।” रानीछलीपरमसती. तुरतअपनसतसंगंगाकेधारकेओतहिलएली।आबभरथरीराजाहुनकाबतबैतछथिनजेकोनाएकजोगीकेसर्वाधिकपुन्यतीर्थस्थलकेरभ्रमणसंभेटैतछैक।ईसुनिरानीगंगाकेधारकेवापसचलिजएबाकहेतुकहैतछथि।रानीकबातकेसम्मानकरैतगंगाकेरधारावापसचलिजैतछैक।एकरबादोरानीसामदेवीभरथरीराजाकेभीखदेबाकलेलतैयारनहिभेली।भरथरीराजाकेभेलनि “अगररानीभीखनहिदेतीतसाधनाबीचहिमेंअटकिजैत।फेरकीहैत? गुरुदीक्षाभेटबेनेकरत. फेरबैकुण्ठकोनाप्राप्तहैत?” अंततःगुरुगोरखनाथस्वयंअबैतछथि. रानीसामदेवीकेपूराबातबुझबैतछथिन।आबरानीमानिजैतछथिआभरथरीराजाकेभीखददैतछथिन।एकरबादभरथरीराजाकेअपनासंगेगुरुगोरखनाथजोगीकगहनतपस्याकहेतुबोनमेंलेनेजैतछथि।
C. गोपीचंदकेरकथा: विलासितासँवैराग्यआवैराग्यसँपुनःगृहस्थआश्रममेंप्रवेश
हमराएकाएकस्मरणभेलजेदिनमेंनाथजोगीकिछुमैनावतीआगोपीचंदकेरगीतसेहोगबैतछल।हमनानीकेस्मरणदियेलएनि।नानीकहली: “गोपीचंदआमैनावतीकेरप्रसंगभरथरीराजाकेजोगीबनलाकबादअबैतछैक।गोपीचंदकेरप्रसंगसेहोबड़ारोचकछैक।बड्डरातिभगेल।आईसुनबकीकाल्हि?” हमरजिज्ञासाप्रबलछल।भेलएखनेसुनिली।नानीकेकहलिएनि: “हमरानिननहिलागलअछि।गाथाकअन्तिमभागजानबाकउत्कंठासेहोअछि।ताहिनिकयैहरहतजेलगलेमेंमैनावतीआगोपीचंदकेरकथासेहोसुनादीअहाँ?” नानीसहजभावसंहमरनिवेदनकेस्वीकारकरैतकथाकहनाईप्रारंभकेलनि।
गोपीचंदएकसंस्कारीपुत्रछथिपदामसेनराजाआमैनावतीरानीके।मैनावतीभरथरीकेबहिनछथिन।गोपीचंदकेचंद्रावलनामकएकसहोदरबहिनछथिन।जवानभेलापरगोपीचंदकेविवाहहोइतछनि।संयोगसंपहिलपत्नीसंहिनकापुत्रनहिहोइतछनि।पौत्रकलोभमेंब्याकुलरानीपद्मावतीअपनअसगरपुत्रगोपीचंदकेदोसरविवाहकरदैतछथिन।दोसरोपत्नीसंगोपीचंदकेपुत्रनहिहोइतछनि।पौत्रकलालषामेंमैनावतीगोपीचंदकेतेसर, चारिम, पाचमकरैत16टाविवाहकरादैतछथिन।विधनाकविधानदेखू, गोपीचंदके16रानीसं12पुत्रीतभजैतछनिमुदाबेटाएकौटानहि।मैनावतीअंतमेंअपनभाईभरथरीजेनाथजोगीभगेलछथिकेबजबैतछथिआअपनरोदनापसारैतछथि।कहैतछथिन: “अगरहिनकापुत्रनहिभेलनितसमस्तराजपाटसमाप्तभजैत।वंशकअंतभजैत।कियोकपितृकेतर्पणदेबलेलनहिरहत।एहेनजीवनजीबसंबढियाँजेआत्महत्याकली? किछुउपायकरूहेभाईभरथरीजाहिसंगोपीचंदकेएकपुत्रभजाईन।”
जोगीभरथरीकनिध्यानस्थहोइतछथि।फेरचिंतितभकहैतछथिन: “बहिनदाई, बड्डदुखकबात! भागिनगोपीचंदकेसंतानकयोगनहिछनि।हमएहिमेंकिछुकरबामेंअसमर्थछी।” ईबातसुनिरानीमैनावतीबिलापकरैछथि।बड्डजोर-जोरसंकनैतछथि।कहैतछथिन: “हमकिछुनहिजनैतछी।अहाँकोनोयुक्तिनिकालूजाहिसंगोपीचंदकेपुत्रहोनि!” आबआरोगंभीरहोइतभरथरीकहैतछथिन: “ठीकछै, अगरभागिनराजमहलत्यागिघनघोरबोनमेंनाथजोगीबनितपस्याकरथितहिनकापुत्रभसकैतछनि।” ईबातसुनिमैनावतीरानीझमाखसैतछथि।मुदाभरथरीकेबुझेलाकबादअपनपुत्रकेजोगीबनाबिजनबोनमेंजएबाकलेलकहैतछथिन।
गोपीचंदमाएकेरआज्ञापाबिसोलहोरानीलगजैतछथिआभरथरीजीकेनिर्णयबतबैतछथिन।सोलहोरानीपुत्रआकांक्षाकेध्यानमेंरखैतछातीकेपाथरकलैतछथिआअपनपतिराजागोपीचंदकेजोगीबनाबीजनबोनमेंभेजिदैतछथि।
बोनमेंगेलाकबादगोपीचंदघोरसाधनामेंलागिजैतछथि।दिनभरिजंगलमेंसाधनाआसाँझपहरभिक्षाटनलेलनगरआग्रामकेरयात्राहाथमेंसारंगीलेनेवैराग्यकेरगीतगबैत।यैहहिनकरसबदिनकाजीवनभगेलछनि।
एकदिनभिक्षाटनकेक्रममेंघुमैत-घुमैतगोपीचंदअपनबहिनचंद्रावलकेसासुरचैलजैतछथि।जोगीकेदेखिचन्द्रावलघरसंभीखदेबालेबाहरभेली।देखैतछथिजेईजोगीकोनोआननहिअपितुहुनकरसहोदरभाईराजागोपीचंदछथि।कुहेसफाटिगेलनि।आंखिअन्हारभगेलनि. धम्मसंधरतीपरचित्तेखसली।जखनलोकउठेलकनितपताचललैकजेप्राणत्यागिदेनेछथि।गोपीचंदकेसहोदरकेममत्वजागिजैतछनि।बफारिमारि-मारिकनैतछथि।मुदाआबकीचंद्रावलबहिनतसमाप्तभगेलछथिन!हिम्मतनहिहारेतछथिगोपीचंद।चट्टेगुरुगोरखनाथलगबहिनकेपुनःजियेबाकहेतुजैतछथि. बहुतअनुनयविनयकरैतछथिन. कहैतछथिन: “बरुहम्मरप्राणललियमुदाबहिनदाईकेजियादियौन।” गुरुगोरखनाथद्रवितभजैतछथिआगोपीचंदसंगेचंद्रावलकेरमृतशरीरलगअबैतछथि।हुनकरस्पर्शमात्रसंचंद्रावलजीबजैतछथिआउठिकबैसजैतछथि।आबचंद्रावलअपनभाएगोपीचंदलेलगुरुगोरखनाथसंनिवेदनकरैतछथिनजेहुनकापुत्रहोबाकबरदानदेथुन।गुरुगोरखनाथभाए-बहिनकेअपूर्वप्रेमदेखिबड्डप्रसन्नहोइतगोपीचंदकेपुत्रप्राप्तहेबाकआशीर्वादतदईतेछथिनसंगहिंअमरहोबाकबरदानसेहोदैतछथिन।गोपीचंदख़ुशी-ख़ुशीअपनराजमहलवापसआबिजैतछथि।
D. निष्कर्ष
एहिकथागाथाकेप्रसंगबहुतनिकअछि।एकबाततईछैकजेराजाभरथरी, रानीसामदेवी, रानीमैनावती, गोपीचंद,चंद्रावल,आगुरुगोरखनाथसबकियोकमिथिलाकेचरित्रनहिछथि।मुदाजोगीपरंपरासंजुड़नेकथामेंस्थानीयभावआबिजैतछैक।लोकजोगीकेकेवलभीखदेबाकहेतुनहिबजबैतछैक।जोगीअपनसारंगीआसुमधुरकंठकेकारणएकलोककलाकारसेहोबनिजैतअछि।गाथाकभावनात्मकपक्षअतेकप्रबलछैकजेमिथिलाकलोकसेहोकथाकेअनेकप्रसंगकेउदासी, चौमासा, छौमासा, बारहमासाकेरूपमेंलोकगीतकस्वरूपमेंगबैतछथि।अहितरहेईकथावाचनाजोगीआगृहस्तदुनुकेद्वारागैलजैतअछि।एककलाकेमात्रकलाप्रशंशकअथवाश्रोताकसंग-संगअनेकप्रकारककलाकार – गीतकरचनाकरनिहार, गेनिहार/गीतगैन, कथावाचक, कथावाचिका – सेहोभेटजैतछैक।रचनाकेकारणभाषासेहोसंपन्नहोइतछैक।नवशैली, शब्दाबलीकेप्रयोगहोइतछैक।ईमूलकथामालवासंबहुतक्षेत्रकेभ्रमणकरैतभोजपुरीक्षेत्रहोइतमिथिलाकमाटिमेंप्रवेशकरैतछैक।गोरखपुरभोजपुरीक्षेत्रछैकताहिकारनेनाथजोगीकभाषाभोजपुरीभजैतछैक।ओमूलगीतभोजपुरीकेलोकस्वरुपमेंगबैतछैक।ओहिस्टाइलकेकॉपीमिथिलामेंसेहोलोकगीत (जोगीगीत) मेंबहुतउत्तमरूपमेंभेटैतछैक।दुनुभाषा – मैथिलीआभोजपुरी – सहोदराअर्थातगंगाजमुनाजकांएकभयभव्यरूपसंहिलकोरामारैतकल-कलकरैतबहैतरहैतछैक।जखनगरीबी, भावनात्मकटूटन, असफलता, अपमानआदिसंव्यथितभकुनोयुवकनाथसम्प्रदायकेसदस्यबनिजोगीभजैतछथितकथाओहिव्यक्ति, ओकरमाता-पिता, पत्नी-संतान, भाए-बहिन, समाजआगामलेलएकभावनात्मकआजिवंतबातभजैतछैक।लोकझटदनिअपनाआपकेचरित्रसंजोड़लगैतछथि।भरथरी, मैनावती, गोपीचंदएकाएकसबजीबजैतछथि।गीतमेंनवरक्तप्रबह्मानभजैतछैक, स्वक्षआफ्रेशऑक्सीजनसाँसलेबाकलेलभेटलगैतछैक।मालवाककथाएकहिक्षणमेंमिथिलाकेकथाभजैतछैक।
ओमहिलासबजिनकरपतिमिथिलासंबाहररहैतछथिनकाजधंधाकेचक्करमेंओसबअपनपरदेसियाअथवाबिदेसियापतिकेजोगीकेरूपमेंदेखिगीतगबैतछथि।विरहअपनचरमअवस्थामेंपहुचजैतअछि।एकएकआखरमर्मकेआखरभजैतछैक।एहनेएकगीतदेखू:
कथीलैप्रीतिलागौलेंरेजोगिया
प्रीतिछोड़ेनेचलिजाय
आंगनमोरालेखेविजुवनरेजोगिया
घरलागैदिवसअन्हार
लालीपलंगियासुन्नभेलैरेजोगिया
तकियामोहिनेसोहाए
खुजलकेशनीड़भेलैरेजोगिया
काजरगेलदहाए

     एहिगीतमेंविरहिणीनायिकाकेअपनपतिबिनाआंगनएकांतवन; घरदिनोंमेंअन्हरियारातिजकाँअन्हार, ललकासजलपलंगअनसोहानगर, तकियामारुकलगैतछैक।खुजलकेशबेकारलागिरहलछैक, अंखिसंनोरकधारकमहोबाकनामेनहिलैतछैक।नोरकेरधारकाजरकेमेटादेनेछैक।ऐनालगैतछैकजेनाओकरपतिनाथजोगीबनिगेलहो।घरसंभागिगेलहो!
दोसरगीतमेंईप्रदर्शितकैलजारहलछैकजेराजाभरथरीजंगलमेंकारीमृग (हरिण) केशिकारकरकहेतुगेलछथि।रानीकेअपनाराजापरगर्वछनि।बुझलछनिजेबिनाशिकारकेनहिऔताह।रानीरातुकरभसकेतैय्यारीकरहलछथि. सोहागिनरानीअपनसौन्दर्यकेचाननकेलेपसंसुगन्धित, फुलकहारसंसुशोभित, आमाथकसिन्दूरसंमनमोहककेनेछथि. मुदाईकी? आंगनकेरप्रवेशपरएकजोगीसारंगीलेनेगीतगाबिरहलछैक: “हेरानी! हमदूरदेसकेरजोगीछी. हमराजल्दी-जल्दीभीखददिय, हमअहाँकदुआरिछोडिदोसरअंगनाभीखलेलचलिजैब।” बेचारीरानीकेकीबुझलजेईजोगीआरकियोआनव्यक्तिनहिअपितुहुनकेपतिराजाभरथरीछथिन।
चाननरगड़ीसोहागिनहेगलेफूलकहार
सिंदुरासेमंगियाभरलअछिहेसुखमासअखार
राजागईलेमृगमारनहेवनगईलेशिकार
जोगीएकठाढ़आंगनमेंहेरानीसुनलेमेरीबात
दएदीयभिक्षाजोगीके
हेओतछोड़तदुआर...



ओहीदिनसंईप्रथाभगेलैकजेजेकियोकनाथजोगीबनतओकराअन्तिमदीक्षागुरुतखनदेतैकजखनओअपनजन्मदात्रीअर्थातमाएसंभीखमंगबामेंसफलभजैत।मिथिलाकहियोवैराग्यकेस्वीकारनहिकेलक।अतएहमेशागृहस्तजीवनमेंरहैतसबसिद्धिप्राप्तकरबाकसिद्धांतप्रबलरहलछक।ताहिमिथिलाकअगरकोनोयुवककोनोकारनेनाथजोगीबनैतअछितओकरालेलमाएसंभीखलेनाईबहुतदुष्करकार्यभजैतछैक।
नानीकथोकहथिआबीच-बीचमेंगीतनहु-नहुगुनगुनाथि।नानीककहबाकअंदाज़अतेकभावुकजेकतेकबेरनैननोरसंभरिगेल।नानीसेहोकानथि।नानीआनातिदुनुभरथरीराजाकेरकथागाथामेंमस्त – एकसुनेबामेंमस्तआदोसरसुनबामेंमस्त।अनुभवभेलजेजखननानीकथाकहैतछलितनानीएकसंगेअनेकचरित्रकेरचित्रणनाटकीयअंदाज़मेंकरैतछली।चरित्रसंगेचलैतछली।चलबाकअभिनयअतेकनिकजेमात्रएकनाट्यकलाकारनानीआएकमात्रश्रोताहममुदादुनुकेआंखि, ह्रदय, आदिमागएकक्षणलेलइम्हर-उम्हरनहिहोईतछल।ईभेलएकसिद्धस्तकथावाचिकाकेरगुण।ईगुणसमर्पण, त्याग, एवंअंतःकरणमेंकथाकेबसेलासंअबैतछैक।
E. नम्रनिवेदन
ओहिसमयमेंजेनानीकहलीतकराआईअपनस्मरणशक्तिपरजोरदेलिखरहलछी।अहिलोकस्मरणमेंजतेकबातनिकआप्रमाणिकभेटतओनानीकछनिआजतएकथाइम्हरउम्हरभटकएतओहमरस्मरणदोषआज्ञानकेग्रहणकरबाकदोषथिक।


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