Saturday, July 14, 2012

विहनि कथा- इशारा

विहनि कथा- इशारा

चर्र .र . र . . ।केबार खुजल ।एकटा कारी साया घर मे प्रवेश केलक ।लड़खड़ाइत डेग ।पूरा घरमे सस्तौआ शराबक गंध पसरि गेल ।घरक एगो कोणमे दाबालपर माँछ-बाँस पारल छल आ ओकर नीचा अहिबातक दिपमे लाल साड़ी चमकि रहल छल ।लाल साड़ी बाली नारी ओहि कारी साया के खसैत देख दौड़ल ।धम्म . . . ।जा धरि पहुँचल ता धरि पिठे भरे खसल छल ओ साया ।ओ नारी पाँजमे पकड़ि उठेलक ओ सक्कत देह बाला मर्दके आ बैसेलक कोहबरक ओछेनपर ।घंटो पंखा हौँकलक तखन जा क' होश एलै ओ मर्द के ।मुदा इ की? होश आबिते नोचि लेलक कानक बाली । हँसैत बाजल-काल्हि एहिसँ दारू पियब । नाक पर साड़ि राखने छल ओ नारी ।मुदा अपन गहना लेल बिरोध केलक ।अथक बिरोध ।एकर बराबर सजा देलकै ओ बेदर्दी मर्द ।ओ नारीके पिठपर लाठी के भारि चामके लाल क' देने छलै ।ठोर आ कानसँ खून बहि रहल छल ।अचेत पड़ल ओ नारी सोचि रहल छल ।एहि जीवनमे एहिसँ बड़का दुख भेटतै इ त' मात्र दुखक पहाड़ के तरफ एकटा छोट इशारा छलै ।

अमित मिश्र

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