Sunday, November 3, 2013

दिवाली

164. दिवाली

दूइये दिन बाद दिवाली छै ।गाम-घरमे सफाइ अभियान चरमपर छै, मुदा लक्ष्मी देवीक घर झोल लागले छै ।घरसँ सिलाइ मशीनक खट-खट स्वर बहरा रहल अछि ।ई देख लक्ष्मीक पड़ोसी आ प्रिय सहेली गौड़ी लक्ष्मी लऽग एली ।कपड़ा सीबैत देख बाजली "यै लक्ष्मी बहिन, अहाँ एखन धरि एतबेमे बाझल छी ।यै दिवालीक तैयारी नै करबै की ?"
गौड़ीक बात सूनि लक्ष्मी सीनाइ छोड़ि कऽ बाजल "हम कथिक तैयारी करब !अहाँकें तँ बुझले अछि ने जे हमर दिवाली इएह थिक ।हम तँ घऽर-तऽर साफ कऽ, दीप-तीप बारि कऽ तहिये दिवाली मनेबै जहिया हमरा बेटा सुधरि जाएत । "
"मुदा, ओकरा तँ दारू-गाजा-जुआक लत कहियो नै छुटऽ बाला अछि ।"ई कहि गौड़ी जेना घाउपर नोन छीट देने होइ, लक्ष्म छिलमिला उठल फेर सम्हरैत बाजल "तखन अहीं कहू कोना दिवाली मनाबियै ?कपड़ा सीब कऽ अपन पेट भरिते नै अछि, दीपक पेट तेलसँ कोना भरियै ?यै बहिन हमरा विश्वास अछि जे हमरो बेटा सुधरत, कमाएत आ हमरो घर दिवाली मनाएल जेतै..." बाजिते-बाजिते लक्ष्मीक आँखिसँ दू ठोप नोर खसि पड़ल ।

*दिवालीक हार्दिक शुभकामनाक संग हम
अमित मिश्र *

No comments:

Post a Comment