Sunday, November 17, 2013

अजीब प्रश्न

168. अजीब प्रश्न

"की अहाँ हमरासँ प्रेम करैत छी ?" बड अजीब प्रश्न पूछल गेल छल । आइ बारह वर्षक बाद अजयकेँ हुनक पूर्व प्रेमिका भेंटि रहल छली । एहन अवसरपर प्रेमिका द्वारा पूछल गेल प्रश्नक इच्छा तँ अजयकेँ नहिंये टा छल ।अपनाकेँ सम्हारैत अजय बाजल "इहो कोनो पूछैक बात छै ! अहाँ तँ हमर जीवनक निर्देशक छी ।अहीं तँ हमर साधना छी ।हमर प्रेमक डोरि तँ सदिखन अहाँसँ जुड़ल अछि ।" कहुना कऽ अपन बात पूरा करैत-करैत घामसँ नहा गेल छल अजय । अजयक स्वीकारोक्ति सूनि प्रेमिका बजली " तखन हमर एकटा काज कऽ अपन प्रेमक परीक्षा दिअ । अहाँ हमरा एकटा सन्तान दऽ दिअ ... आब गारि-मारि सहन नै होइत अछि ... बस एक राति लेल संग... ।" बात पूरा नै भऽ सकल ।आँखि नोरा गेल छलै आ कण्ठसँ सिसकारी फूटऽ लागल छलै जाहिमे आगूक शब्द दबि गेल छलै ।अजयक मोनमे भयंकर चक्रबात उठि गेल छल ।जबाब की देल जाए ? किछु फुराइते नै छलै ।बेर-बेर एतबे सोचैत छल, पैघ नाक बाला ई समाज कतेक प्रतारित करैत अछि जे कोनो वियाहल नारी एतेक नीच काज करबाक लेल मजबूर भऽ जाइत अछि !

अमित मिश्र

Wednesday, November 13, 2013

उलाएल

167. उलाएल

दू टा दोस्त गामक स्थितिपर चर्चा कऽ रहल छल ।पहिल दोस्त दोसरकेँ कहलक "चुन्नू बाबूकेँ देखलहीं ।राजासँ रंक बनल जा रहल छथिन ।कते दुर्गति भऽ रहल छन्हि !ऊपर मुँहें जाइ वला विजनेस नीचाँ मुँहे किए जाए लागलै ?"
दोसर दोस्त किछु क्षण सोचलक आ फेर कहलक "हुनकर हाल उलाएल धान जकाँ भेल छै ।उलाएल बीया कखनो नै जन्मै छै ।चुन्नू बाबूकेँ टाकाक घमण्ड भऽ गेल छलनि ।घमण्डक धाहमे हुनक लूरि-बुधि सब उला गेलै, तेँ ओ विजनेसमे नूतनता नै आनलनि आ रंग बनि गेलनि ।असलमे घमण्डे सबकेँ नीचाँ मुँहें लऽ जाइ छै ।बुझलें ।"

अमित मिश्र

Tuesday, November 12, 2013

सेनूर

166. सेनूर

रातिक बारह बाजैत छल ।गुज-गुज अन्हिया आ डेराउन चुप्पी चारू दिस विराजमान छल ।एकाएक मनोजक नीन टूटि गेलै ।चेहा कऽ उठल तँ बगलमे पत्नीकेँ नै देखलक ।मोने मोन शंका ग्रस्त हुअ लागल ।घरसँ बाहर आएत तँ आँगनमे दू गोटाक खुसुर-पुसुर सुनाइ देलकै ।एकटा पुरूष स्वर आ एकटा नारी स्वर आबैत छल ।पुरूष बाजल "देख, आब तूँ प्लान अन्तीम भाग पूरा कर ।मनोज लऽग बड सम्पति छै ।ओकरा मारि कऽ ओकर मलकाइन तूँ बनि जो ।फेर दुनू गोटा वियाह कऽ लेब ।"
नारी स्वर तीव्र गतिसँ बहराएल "नै, ई हमरा बुते नै हेतौ ।"
पुरूष फेर बुझाबऽ लागल "सप्पत नै तोड़ ।दुनू गोटाक प्रेम एकरा मरलाक बादे सफल हेतै ।"
तामसमे डूबल नारी स्वर फूटल "प्रेम प्रेम प्रेम बड भेलौ ।आब अपन प्रेम मरि गेलौ ।हम तोहर संग देलियै किए तँ तखन कर्ज मुक्त छलियै, मुदा... आब हमरापर सेनूरक कर्ज अछि ।मनोज हमरा अनमोल सेनूर देलनि ।हम अपन प्राणो दऽ कऽ एकर कर्ज नै चुका सकै छीयै, ओकर प्राण लेनाइ दूर कए बात छै ।"

अमित मिश्र

Sunday, November 3, 2013

दिवाली

164. दिवाली

दूइये दिन बाद दिवाली छै ।गाम-घरमे सफाइ अभियान चरमपर छै, मुदा लक्ष्मी देवीक घर झोल लागले छै ।घरसँ सिलाइ मशीनक खट-खट स्वर बहरा रहल अछि ।ई देख लक्ष्मीक पड़ोसी आ प्रिय सहेली गौड़ी लक्ष्मी लऽग एली ।कपड़ा सीबैत देख बाजली "यै लक्ष्मी बहिन, अहाँ एखन धरि एतबेमे बाझल छी ।यै दिवालीक तैयारी नै करबै की ?"
गौड़ीक बात सूनि लक्ष्मी सीनाइ छोड़ि कऽ बाजल "हम कथिक तैयारी करब !अहाँकें तँ बुझले अछि ने जे हमर दिवाली इएह थिक ।हम तँ घऽर-तऽर साफ कऽ, दीप-तीप बारि कऽ तहिये दिवाली मनेबै जहिया हमरा बेटा सुधरि जाएत । "
"मुदा, ओकरा तँ दारू-गाजा-जुआक लत कहियो नै छुटऽ बाला अछि ।"ई कहि गौड़ी जेना घाउपर नोन छीट देने होइ, लक्ष्म छिलमिला उठल फेर सम्हरैत बाजल "तखन अहीं कहू कोना दिवाली मनाबियै ?कपड़ा सीब कऽ अपन पेट भरिते नै अछि, दीपक पेट तेलसँ कोना भरियै ?यै बहिन हमरा विश्वास अछि जे हमरो बेटा सुधरत, कमाएत आ हमरो घर दिवाली मनाएल जेतै..." बाजिते-बाजिते लक्ष्मीक आँखिसँ दू ठोप नोर खसि पड़ल ।

*दिवालीक हार्दिक शुभकामनाक संग हम
अमित मिश्र *

Saturday, November 2, 2013

दीप

163. दीप

एकटा बूढ़ कुम्हार शहरक अतिव्यस्त बाटपर ठाढ़ छल ।माँथपर छीट्टा छलै जाहिमे नीक नीक कलाकृतिसँ सजल दीप राखल छलै ।छीट्टाक बोझसँ वा उमरक प्रभावसँ ओकर डाँर झूकि गेल छलै ।गाड़ीकेँ रुकैत देख ओ झट दऽ ओकरा लऽग पहुँचि जाइ "सरकार, दिवाली लेल सुन्दर-सुन्दर दीप अछि ।मात्र दूइये टाका...एक्को टा कीन लिअ...भोरसँ एक्को टा नै बिकाएल ...भुखले छी...छूट देब...एगो कीन लिअ... ।"
सब बेर ओ एते बाजै आ सब बेर गाड़ी बला ओकरा फटकारि दै "रै बुड़बक ।आज के युग में दीप-बीप नहीं चलता है ।अब तो एक-से-एक मरकरी आ गया है ।जाओ रश्ता नापो ।समय खोटी मत करो ।" एते कहि गाड़ी बला फट दऽ गेट बन्द कऽ लै ।साँझमे चोकीदार अपन हिस्सा लेबाक लेल आबि गेलै ।ओकरा देख कुम्हार बाजल "बाबू जी ।आइ नै दऽ सकब ।पिछला चारि दिनसँ किछु आमदनी नै भेल ।कने किछु खुआ दिअ हमरा । पता नै अहाँकेँ अझुका हफ्दा दऽ सकब की नै, कारण जे हमरो जीवन तँ बिनु तेलक दीपे सन अछि ।जानि नै कते दिन धरि जरि सकत ।"

अमित मिश्र