Wednesday, July 24, 2013

प्रेम




“अहाँ हमरासँ कतेक प्रेम करैत छी ?”
“प्रेम तँ बड्ड करै छी, मुदा कतेक से कोना कहु, प्रेमक कोनो पैमाना तँ छैक नहि।”
“तैयो... !”
“हाँ एतेक जरुर कहब, अहाँ बिनु आब जीब नहि सकैत छी।”

No comments:

Post a Comment