Friday, June 7, 2013

टीस

विहनि कथा-62
टीस

- गे बड़की सखी बड दिन बाद तोरासँ भेंट भेल ।तोहर मोन करै छौ, कने संगी-सहेलीसँ भेंट कऽ लेब ?
- हँ गे छोटकी सखी मोन तँ बड होइ छै, मुदा की करियै हमर घरबला हमरा बिनु रहिते नै छथि ।
- उहो की करथुन ।गामसँ कहियो बहरेबो नै ने केलनि ।
- छोड़ ई सब ।ई बता जे एते सोना किए पहिरने छें ? बुझल नै छौ जमाना कते खराप छै ?
- हमर घर बला दुबाइमे कमाइ छै ।कह, सोना नै पहिरबै तँ कि तोरा सन पीत्तर पहिरबै ।
- तोसर साज-श्रृंगार तँ व्यर्थ छो सखी ।हम पीत्तरो पहिरै छी तँ सदिखन पतिक पिआर भेटैत अछि हमरा, मुदा तूँ कतबो बनि-ठनि ले पतिक पिआरसँ दूरे रहबें, तड़पैत . . . ।
छोटकी सखीकेँ लागलै जे करेजमे असहनिय टीस उठि गेलै ।किओ दूखाइत घावपर नोन रगड़ि देलकै ।

अमित मिश्र

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