Monday, June 10, 2013

झगड़ाक जड़ि

85. झगड़ाक जड़ि

- बाबू, ई की कऽ देलियै ? सबटा खेत बेच देलियै ।आब हमरा दुनू भाएक गुजारा कोना हेतै ?
- जहिना सगरो दुनियाँक होइत छै तहिना तोरो दुनूक गुजारा हेतअ ।
- मुदा खेत बेचलियै किए ? ओ तँ अचल सम्पति अछि ।एक्को कट्ठा नाँउओँ लए नै छोड़लियै ।
-आइ-काल्हि खेत खूनक नदी बहबै बला सम्पति भऽ गेल छै ।इएह खेत लेल हमर पएर कटि गेल आ तोहर काकाक हाथ ।
- से तँ अहाँ दुनू भाइमे भेल ।हमरा लेल तँ रहऽ दितियै ।
-बौआ, कलयुगमे भैयारीमे झगड़ा भेनाइ सत्य अछि ।हम नै चाहैत छी जे तोरा दुनूमे एहन झगड़ा हुअऽ ।तेँ सबटा खेत बेचि देलौं ।झगड़ाक जड़ि खतम भऽ गेल ।दुनू कमैहऽ, खैहऽ ।नै बाँट-बखरा हेतै आ नै झगड़ा हेतै ।

अमित मिश्र

No comments:

Post a Comment