Sunday, June 9, 2013

सैनीक

76.सैनीक

राजाक दरबार भरल छल ।चुट्टी ससरबाक जगह नै ।लोक मूड़ी उठा-उठा सिक्करिसँ बान्हल सैनीनकेँ देखमे व्यस्त छल ।ओकरापर बलत्कारक आरोप छलै ।ओ अपन बचाबमे बाजल "महराज, एहिमे हमर कोन गलती ? हम तँ अपन भूख मेटलौं ।हम सब सीमापर एसगर पत्नीक वियोगमे रहैत छी ।अहाँक गलत कानून ओकरा संग नै राखऽ दैत अछि ।आब अहीं कहू हम करी तँ की करी ?" दरबार एकदम शान्त भेल ओकर बात सुनैमे मगन छल । ओ आगू बाजल " जखन अहाँक मंत्री पत्नीक संग रहलाक बादो दरबारमे अश्लील फिल्म देखैत अछि तँ हम केलौं तँ कोन गलत केलौं ? जखन ओकरा भूख बर्दाश्त नै भेलै तखन हमरा कोना हेतै ?" राजाकेँ ओकर बात सत्य लागलै ।ओकरा छोड़ि देल गेल, मुदा सोचि रहल छल जे एहन सैनीकक कोन काज जे रक्षा करबाक बदले अपने राक्षस बनि जाएत ?

अमित मिश्र

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