Thursday, June 27, 2013


सगर राति‍ दीप जरयक ७९म आयोजन कथा कोसीउमेश पासवानक संयोजकत्‍वमे औरहामे सम्पन्न/ ८०म सगर राति‍ दीप जरय सुपौल जि‍लाक निर्मलीमे उमेश मण्‍डलक संयोजकत्वमे- उमेश मण्डल

सगर राति‍ दीप जरयक ७९म आयोजन कथा कोसीनामक वैनरक नीचाँ दि‍नांक १५ जून संध्‍या ६.३० बजेसँ शुरू भऽ १६ जूनक भि‍नसर ६ बजे धरि‍ लौकही थाना अन्‍तर्गत औरहा गामक मध्‍य वि‍द्यालयक नव नि‍र्मित भवनमे श्री उमेश पासवानक संयोजकत्‍वमे सुसम्‍पन्न भेल। अगि‍ला ८०म गोष्‍ठी सुपौल जि‍लाक निर्मलीमे हेबाक लेल उमेश मण्‍डलक प्रस्‍ताव आएल जे सर्वसम्मति‍सँ मान्‍य भऽ घोषित भेल।
श्री जगदीश प्रसाद मण्‍डल एवं श्री रामचन्‍द्र पासवान जीक संयुक्‍त अध्‍यक्षतामे तथा श्री वीरेन्‍द्र कुमार यादव आ श्री दुर्गागान्‍द मण्‍डलक संयुक्‍त संचालनमे ऐ कथा गोष्‍ठीक भरि‍ राति‍क यात्रा भेल। गोष्‍ठीक शुभारम्‍भ श्री लक्ष्‍मी नारायण सिंह एवं श्री रामचन्‍द्र पासवानजी संयुक्‍त रूपे दीप प्रज्‍वलि‍त कऽ उद्घाटन केलनि‍। दीप प्रज्वलनमे डॉ. रामानन्‍द झा ‘रमण’ श्री हेम नारायण साह श्री शंभु सौरभ संग-संग प्रेक्षागारमे उपस्‍थि‍त सभ कथा-साहि‍त्‍य प्रेमी थोपड़ी बजा सहयोग केलनि‍।
वि‍देह-सदेह-५ वि‍देह मैथि‍ली वि‍हनि‍ कथा, वि‍देह सदेह-६ वि‍देह मैथि‍ली लघुकथा, वि‍देह-सदेह-७ वि‍देह मैथि‍ली पद्य, वि‍देह-सदेह-८ वि‍देह मैथि‍ली नाट्य उत्‍सव, वि‍देह-सदेह-९ वि‍देह मैथि‍ली शि‍शु उत्‍सव तथा वि‍देह-सदेह-१० वि‍देह मैथि‍ली प्रबन्‍ध-नि‍बन्‍ध-समालोचना नामक पोथीक लोकार्पण स्‍थानीय वि‍द्वतजन श्री संजय कुमार सिंह, श्री रामचन्‍द्र पासवान, श्री मि‍थि‍लेश सिंह, श्री राजदेव मण्‍डल, श्री लक्ष्‍मी नारायण यादव तथा श्री वीरेन्‍द्र प्रसाद सिंह (दुर्गानन्‍द मण्‍डल) जीक हाथे भेल।
लोकार्पण सत्रक पछाति‍ दू-शब्‍दक एकटा महत्‍वपूर्ण सत्रक सेहो आयोजन भेल जइमे श्री रामचन्‍द्र  पासवान, श्री बेचन ठाकुर, श्री कपि‍लेश्वर राउत, श्री कमलेश झा, श्री राजदेव मण्‍डल, श्री राम वि‍लास साहु, श्री उमेश नारायण कर्ण, श्री रामानन्‍द झा रमण’, श्री शंभु सौरभ, श्री वीरेन्‍द्र यादव, श्री दुगानन्‍द मण्‍डल, श्री जगदीश प्रसाद मण्‍डल, श्री हेम नारायण साहु, डॉ शि‍वकुमार प्रसाद, श्री अरूणाभ सौरभ तथा हम माने उमेश मण्‍डल आ संयोजक श्री उमेश पासवान द्वारा सगर राति‍ दीप जरयकथा गोष्‍ठीक दीर्घ यात्रा तथा उदेसपर सभागारमे उपस्‍थि‍त दूर-दूरसँ आएल कथाकार, समीक्षक-आलोचक एवं स्‍थानीय साहि‍त्‍य प्रेमीक समक्ष अपन-अपन मनतव्‍य रखलनि‍। सगर राति‍क ७५म आयोजनक पश्चात ७६म आयोजन जे श्री देवशंकर नवीन दि‍ल्‍लीमे करेबाक घोषना तँ केने रहथि‍ मुदा से नै करा साहि‍त्‍य अकादेमी द्वारा आयोजि‍त कथा गोष्‍ठीकेँ गनि नेने रहथि‍ जहू गि‍नतीकेँ सोझरौल गेल आ तँए ऐ गोष्‍ठीकेँ श्री उमेश पासवान अपन इमानक परि‍चए दैत ७९म  आयोजन केलनि‍। ओ कहलनि‍ जे हम सभ अर्थात् वि‍देह मैथि‍ली साहि‍त्‍य आन्‍दोलनसँ जुड़ल मैथि‍ली वि‍कास प्रेमी छी। हम सभ ७७म, ७८म आयोजनक आयोजनकर्ताकेँ स्‍पष्‍ट रूपे कहैत एलि‍यनि‍ मुदा हमरा सबहक बात नहियेँ वि‍भारानी मानलनि‍ आ नहि‍येँ कमलेश झा मानलनि‍। मुदा से हमहूँ नै मानब आ सही-सही गि‍नती करब।”
ऐ तरहेँ उक्‍त आयोजनकेँ ‘सगर राति‍ दीप जरय’क ७९मे बहुसंख्‍यक मनानुसार तँइ भेल, आयोजि‍त भेल। हलाँकि‍ दरभंगासँ आएल कथाकार श्री हीरेन्‍द्र कुमार झाक उकसेला पर रहुआसँ आएल श्री वि‍नय मोहन झा जगदीश, श्री दुखमोचन झा आ दरभंगेसँ आएल श्री अशोक कुमार मेहता, हीरेन्‍द्र झा जीक संग गोष्‍ठीक आरम्‍भक घंटा भरि‍क पछाति‍ चलि‍ जाइ गेला।
जीवि‍ते नर्क (उमेश मण्‍डल), शि‍क्षाक महत (राम वि‍लास साहु), बि‍आहक पहि‍ल साल गि‍ड़ह (दुर्गानन्‍द  मण्‍डल), बौका डाँड़ (लक्ष्‍मी दास), बंश (कपि‍लेश्वर राउत), टाटीक बाँस (राम देव प्रसाद मण्‍डल झारूदार’), सगतोरनी (शि‍वकुमार मि‍श्र), पाथर, पि‍यक्कर, जोगार आ अंग्रेज नैना (अमीत मि‍श्र), संत आकि‍ चंठ (बेचन ठाकुर), अछोपक छाप (शम्‍भु सौरभ), नमोनाइटिस (उमेश नारायण कर्ण), द्वादशा (सुभाष चन्‍द्र सि‍नेही’), राँड़ि‍न (रोशन कुमार मैथि‍ल’), पँचवेदी (अखि‍लेश कुमार मण्‍डल), मुइलो बि‍सेबनि (जगदीश प्रसाद मण्‍डल) इत्‍यादि‍ महत्‍वपूर्ण लघु कथा/वि‍हन‍ कथाक पाठ भेल आ सत्रे-सत्र मौखि‍क टि‍प्‍पणी आ समीक्षा सेहो भेल।
अछोपक छाप (शम्‍भु सौरभ) क समीक्षाक क्रममे श्री रमानन्द झा "रमण" कथावस्तुसँ अपन असहमति देखेलनि आ कहलनि- "नै आब ई गप नै अछि, एकटा गप एतै देखियौ, हम रमानन्द झा "रमण" श्रोत्रिय उच्च कुलक, आ कतऽ आएल छी! उमेश पासवानक दरबज्जापर!"
श्री बेचन ठाकुर श्री रमानन्द झा "रमण"क नव-ब्राह्मणवादी सोचक विरोध करैत कहलनि-
"लोकक मगजमे अखनो जाति-पाति भरल छै, मैलोरंगक प्रकाश झा तँए ने कहै छथि जे बेचन ठाकुर भरि दिन तँ केश काटैत रहैए, ई रंगमंच की करत!! श्रीधरमकेँ सेहो ई गप बूझल छन्हि।”
माने मैथिली साहित्यकार, समीक्षक आ रंगमंचसँ जुड़ल ब्राह्मणवादी आ नव-ब्राह्म्णवादी सोचक लोककेँ देखैत ई कहल जा सकैए जे २१म शताब्दीमे श्री रमानन्द झा "रमण"क व्‍यान ई देखबैत अछि जे केना ओ उमेश पासवानक दरबज्जापर आबि उपकृत करबाक भावनासँ ग्रसित छथि।
      ऐ अवसरि‍पर वि‍देह मैथि‍ली पोथी प्रदर्शनी (२७म प्रदर्शनी) सेहो लागल रहए।
अगि‍ला ८०म गोष्‍ठी सुपौल जि‍लाक निर्मलीमे हेबाक लेल उमेश मण्‍डलक प्रस्‍ताव आएल जे सर्वसम्मति‍सँ मान्‍य भऽ घोषित भेल।
सभ कथाकार, कथा-साहि‍त्‍य प्रेमी एवं समीक्षक-आलोचकसँ आग्रह-अनुरोध-नि‍वेदन‍ जे ८०म सगर राति‍क कथा गोष्‍ठी- निर्मलीमे अपन गरि‍मामयी उपस्‍थि‍ति दि‍ऐ।

Wednesday, June 26, 2013

खिचड़ी

विहनि कथा-105
खिचड़ी

शिक्षा विभागक अध्यक्ष इस्कूलक दौरापर निकललनि ।एकटा इस्कूलपर छात्रक संख्याँ देख हेडमास्टरपर तमसा गेलाह ।फेर छात्रक कमीक मादे सब छात्रसँ कारण पुछलनि ।एकटा छात्र ठाढ़ भऽ उत्तर देलकनि "सर, एहि इस्कूलक सब बच्चा प्राइभेटमे पढ़ैत अछि ।"
अध्यक्ष महोदय कहलनि "हम कपड़ा, पोथी आ भोजन दै छीयै तखन सब प्राइभेटमे किए जाइ छै ?"
"सर, हमरा सबकेँ भूख लागल अछि, पढ़बाक भूख ।पेटक भूख तँ घरपर शान्त भऽ जाइत अछि मुदा ज्ञानक भूख प्राइभेटेमे भेटै छै ।हमरा नीक शिक्षक चाही, खिचड़ी नै ।जँ दऽ सकी तँ बाजू " ओहि छात्रक ई बात सूनि अध्यक्ष महोदय अवाक रहि गेलाह ।

अमित मिश्र

Monday, June 24, 2013

बेगरता



“यौ काका, माए बड़ जोड़ दुखीत छै, अस्पतालमे भर्ती करबअ परतै, कने अहाँ दस हजार रुपैयाक व्यबस्था कए दिअ पाँच छह महिनामे हम दए देब।”
“तोरासँ तँ किछु नुकाएल छहे नहि जे हमर हालत आइ काल्हि केहन अछि मुदा हाँ भीड़परक जामुनक गाछ जँ बेच दहक तँ हम मैलाम बलासँ गप्प करी ।”
“बेचक तँ कोनो हर्ज नहि मुदा काका.... ओ जामुनक गाछ तँ कहूना पच्चीस हजारक हेतै ।”
“हाँ हाँ किएक नहि पच्चीस की तीसो भेट सकैत छैक मुदा ओहि लेल पाँच छह महिनाक चर्च आ इन्तजार दुनू चाही मुदा तोरा एखने बेगरता छ एतेक जल्दी तँ कियो दसो दऽ दिए तँ बड़ छैक ।” 
“एखन एहिना कतौसँ इन्तजाम कए दिअ, गाछ बेचहे परतै तँ बादमे नीक पाइ भेटलापर बेच लेब ।”
“से तँ बेस मुदा हमरा एखन कोनो दोसर उपाय कहाँ देखा रहल अछि ।”
“पाइ तँ आइए काल्हिमे चाही ।”
“हाँ ! भौजी लग किछु सोना होइन तँ....”
“सोना तँ सभटा पहिने बाबूक काजमे बिका गेलै । ठीक छै अहाँ साँझ धरि देखियौ, हमहूँ देखै छीऐ नहि किछु हेतै तँ जामुन गाछ तँ छैहे ।”
भोरे भोर माए केर अस्पतालमे भर्ती भए गेलनि । चारिटा जोन भीड़ परहुक जामुनक गाछ काटैमे लागल । ओमहर काका अप्पन बैंकमे पन्द्रह हजार रुपैया जमा करबैत । 
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जगदानन्द झा 'मनु'

Friday, June 21, 2013

’सगर राति‍ दीप जरय’क ७९ म आयोजन ‘कथा कोसी’ उमेश पासवानक संयोजकत्‍वमे औरहामे सम्पन्न/ ८० म सगर राति‍ दीप जरय सुपौल जि‍लाक निर्मलीमे उमेश मण्‍डलक संयोजकत्वमे - रिपोर्ट पूनम मण्डल

सगर राति‍ दीप जरय’क 79म आयोजन ‘कथा कोसी’ नामक वैनरक नीचाँ दि‍नांक 15 जून संध्‍या 6.30 बजेसँ शुरू भऽ 16 जूनक भि‍नसर 6 बजे धरि‍ लौकही थाना अन्‍तर्गत औरहा गामक मध्‍य वि‍द्यालयक नव नि‍र्मित भवनमे श्री उमेश पासवानक संयोजकत्‍वमे गोष्‍ठी सुसम्‍पन्न भेल। अगि‍ला ८०म गोष्‍ठी सुपौल जि‍लाक निर्मलीमे हेबाक लेल उमेश मण्‍डल प्रस्‍ताव आएल जे सर्वसम्मति‍सँ मान्‍य भऽ घोषित भेल।
      श्री जगदीश प्रसाद मण्‍डल एवं श्री रामचन्‍द्र पासवान जीक संयुक्‍त  अध्‍यक्षतामे तथा श्री वीरेन्‍द्र कुमार यादव आ श्री दुर्गागान्‍द मण्‍डलक संयुक्‍त  संचालनमे ऐ कथा गोष्‍ठीक भरि‍ राति‍क यात्रा भेल। गोष्‍ठीक  शुभारम्‍भ श्री लक्ष्‍मी नारायण सिंह एवं श्री रामचन्‍द्र पासवानजी संयुक्‍त रूपे दीप प्रज्‍वलि‍त कऽ  उद्घाटन केलनि‍।
      वि‍देह-सदेह-5 वि‍देह मैथि‍ली वि‍हनि‍ कथा, वि‍देह सदेह-6 वि‍देह मैथि‍ली लघुकथा, वि‍देह-सदेह-7 वि‍देह मैथि‍ली पद्य, वि‍देह-सदेह-8 वि‍देह मैथि‍ली नाट्य उत्‍सव, वि‍देह-सदेह-9 वि‍देह मैथि‍ली शि‍शु उत्‍सव तथा वि‍देह-सदेह-10 वि‍देह मैथि‍ली प्रबन्‍ध-नि‍बन्‍ध-समालोचना नामक पोथीक लोकार्पण स्‍थानीय वि‍द्वतजन श्री संजय कुमार सिंह, श्री रामचन्‍द्र पासवान, श्री मि‍थि‍लेश सिंह, श्री राजदेव मण्‍डल, श्री लक्ष्‍मी नारायण यादव तथा श्री वीरेन्‍द्र प्रसाद सिंह द्वारा भेल हाथे भेल।
      लोकार्पण सत्रक पछाति‍ दू-शब्‍दक एकटा महत्‍वपूर्ण सत्रक सेहो आयोजन भेल जइमे श्री रामचन्‍द्र पासवान, श्री बेचन ठाकुर, श्री कपि‍लेश्वर राउत, श्री कमलेश झा, श्री राजदेव मण्‍डल, श्री राम वि‍लास साहु, श्री उमेश नारायण कर्ण, श्री रामानन्‍द झा ‘रमण’, श्री शंभु सौरभ, श्री जगदीश प्रसाद मण्‍डल, डॉ शि‍वकुमार प्रसाद, श्री अरूणाभ सौरभ तथा श्री उमेश मण्‍डल तथा संयोजक श्री उमेश पासवान द्वारा ‘सगर राति‍ दीप जरय’ कथा गोष्‍ठीक दीर्घ यात्रा तथा उदेसपर सभागारमे उपस्‍थि‍त दूर-दूरसँ आएल कथाकार, समीक्षक-आलोचक एवं स्‍थानीय साहि‍त्‍य प्रेमीक मध्‍य मंचसँ अपन-अपन मनतव्‍य  रखलनि‍। जइमे सगर राति‍क 75म आयोजनक पश्चात 76म आयोजन जे श्री देवशंकर नवीन दि‍ल्‍लीमे करेबाक घोषना तँ केने रहथि‍ मुदा से नै करा साहि‍त्‍य  अकादेमी द्वारा आयोजि‍त कथा गोष्‍ठीकेँ गनि नेने रहथि‍ जहू गि‍नतीकेँ सोझरौल गेल आ तँए ऐ गोष्‍ठीकेँ श्री उमेश पासवान अपन इमानक परि‍चए दैत ७९ म गोष्‍ठीक आयोजन केलनि‍। ओ कहलनि‍ जे हम सभ अर्थात् वि‍देह मैथि‍ली साहि‍त्‍य  आन्‍दोलनसँ जूड़ल मैथि‍ली वि‍कास प्रेमी छी। हम सभ ७७म, ७८ म आयोजनक आयोजन कर्ताकेँ स्‍पष्‍ट रूपे कहैत एलि‍यनि‍ जे मुदा हमरा सबहक बात नहियेँ वि‍भारानी मानलनि‍ आ नहि‍येँ कमलेश झा मानलनि‍। मुदा से हमहूँ नै मानब आ सही-सही गि‍नती करब। आ तही दुआरे ऐ गोष्‍ठीक आयोजन ७९मे आयोजन तँइ भेल, आयोजि‍त भेल। हलाँकि‍ दरभंगासँ आएल कथाकार श्री हीरेन्‍द्र कुमार झाक उकसेला पर रहुआसँ आएल श्री वि‍नय मोहन झा जगदीश, श्री दुखमोचन झा आ दरभंगेसँ आएल श्री अशोक कुमार मेहता हीरेन्‍द्र  झाक संग गोष्‍ठीक आरम्‍भक घंटा भरि‍क पछाति‍ चलि‍ जाइ गेला।

      जीवि‍ते नर्क (उमेश मण्‍डल), शि‍क्षाक महत (राम वि‍लास साहु), बि‍आहक पहि‍ल गि‍रह (दुर्गानन्‍द मण्‍डल), बौका डाँड़ (लक्ष्‍मी दास), बंश (कपि‍लेश्वर राउत), टाटीक बाँस (राम देव प्रसाद मण्‍डल ‘झारूदार’), सगतोरनी (शि‍वकुमार मि‍श्र), पाथर, पि‍यक्कर, जोगार आ अंग्रेज नैना (अमीत मि‍श्र), संत आकि‍ चंठ (बेचन ठाकुर), अछोपक छाप (शम्‍भु सौरभ), नमोनाइटिस (उमेश नारायण कर्ण), द्वादशा (सुभाष चन्‍द्र ‘सि‍नेही’), राँड़ि‍न (रोशन कुमार ‘मैथि‍ल’), पँचवेदी (अखि‍लेश कुमार मण्‍डल), मुइलो बि‍सेबनि (जगदीश प्रसाद मण्‍डल) इत्‍यादि‍ महत्‍वपूर्ण लघु कथा/वि‍हन‍ कथाक पाठ भेल आ सत्रे-सत्र मौखि‍क टि‍प्‍पणी आ समीक्षा भेल।
अछोपक छाप (शम्‍भु सौरभ) क समीक्षाक क्रममे श्री रमानन्द झा "रमण" कथावस्तुसँ अपन असहमति देखेलनि आ कहलनि- " नै आब ई गप नै अछि, एकटा गप एतै देखियौ, हम  रमानन्द झा "रमण" श्रोत्रिय उच्च कुलक, आ कतऽ आएल छी! उमेश पासवानक दरबज्जापर!" श्री बेचन ठाकुर  श्री रमानन्द झा "रमण"क नव-ब्राह्मणवादी सोचक  विरोध करैत कहलनि- " लोकक मगजमे अखनो जाति-पाति भरल छै, मैलोरंगक प्रकाश झा तेँ ने कहै छथि जे बेचन ठाकुर भरि दिन तँ केश काटैत रहैए, ई रंगमंच की करत!! श्रीधरमकेँ सेहो ई गप बुझल छन्हि। माने मैथिली साहित्यकार, समीक्षक आ रंगमंचसँ जुड़ल ब्राह्मणवादी आ नव-ब्राह्म्णवादी सोचक लोककेँ देखैत  ई कहल जा सकैए। २१म शताब्दीमे श्री रमानन्द झा "रमण"क बयान ई देखबैत अछि जे  कोना ओ उमेश पासवानक दरबज्जापर आबि उपकृत करबाक भावनासँ ग्रसित छथि।
अगि‍ला ८०म गोष्‍ठी सुपौल जि‍लाक निर्मलीमे हेबाक लेल उमेश मण्‍डल प्रस्‍ताव आएल जे सर्वसम्मति‍सँ मान्‍य भऽ घोषित भेल।






Sunday, June 16, 2013

व्यबस्था



गामक बाहर, एक कातमे दूटा फूसक घर । एकटा घरक बाहर, एकटा बुढ़ अप्पन कुशल हाथसँ लाल पियर बांसक खपचनीकेँ ढाकी सूपक आकार देबैमे लागल ।
शहरी बेश भूषामे एकटा पाँच बर्खक नेना कतौसँ दौरल आबि चूप चाप कनी काल धरि निघुरि कए अप्पन ठेंहुनपर हाथ रखने देखैत रहल, ढाकी-सूप कोना कए बनि रहल छैक ।
अनचोके बाजि उठल, “बाबा अहाँक लग कोल्ड ड्रिंक अछि ।
ई कोल्ड ड्रिंक की है छै ।
अरे बाबा ! लिम्का पेप्सी माजा नहि बुझै छी ।
एहि नामक तँ कोनो धिया पुता हमरा घरमे नहि अछि ।
ओ नेना बुढ़क एहि तरहक गप्प सुनि चूप चाप कनी काल धरि हुनकर मुँह दिस देखैत आँगा बाजल, “पानि ।
हाँ पानि तँ अछि मुदा अहाँ हमर हाथक पानि कोना पीब, देखैमे तँ कोनो नीक घरक नेना  लगै छी ।
किएक अहाँ हाथक पानि नीक नहि होइए ।
नहि बौआ, अहाँ हमरा एहन छोट लोकक हाथसँ पानि कोना पीब जँ अहाँक माए बाबू बुझि जेता तँ हमरा खातीर अहुँकेँ बात सुनअ परत ।
ओ नेना हुनक एहि तरहक गप्प सुनि अबाक किएक तँ जाहि शहरसँ ओ आएल छल ओहिठाम एहि तरहक कोनो व्यबस्था नहि छलै । ताबएतमे ओहि बच्चाक माए बाबू आबि गेला । नेनाक बाबू ओहि बुढ़केँ पाएर छू गोर लगलनि । बुढ़ मुँह उठा कए धियानसँ देखै छथि तँ हुनक बेटा मोहन जे सात बर्ख पहिने गाम छोरि शहर चलि गेल रहे । 

सारि

104. सारि

"यै सारि दुलरी ।लोक सासुरमे मजा करैत अछि, मुदा एतऽ तँ सजा लागैत अछि ।" बहिनोइ अपन सारिसँ चौल केलक ।
सारि कने बिहुँसैत बाजलनि "एतऽ कनियाँ अछिए ।हमर कोन जरूरति ।"
" जा, अहाँकेँ नै बुझल अछि ।हे यै, सारि तँ आधा कनियाँ होइत छै ।"
"तखन हम की करौं "
"बेसी किछु नै ।कने हँसी-मजाक कऽ लेल करू बहिनोइ संग ।" बहिनोइक ई बात सूनि सारि जबाब देलनि "हमरा लागैत छल जे अहाँ हँसैयो लेल टाका मागब ।ओनाहितो अहाँकेँ दीदी लेल खरिदल गेल छल, हमरा लेल नै ।"
सारिक ई बात सूनि बहिनोइक मुँह कारी स्याह भऽ गेलै ।

अमित मिश्र

समानान्तर

103. समानान्तर

"मालिक, अहाँसँ किछु कहबाक अछि ।"अकलू, राधे बाबूकेँ देख बाजल ।राधे बाबू पुछलनि "कह की बात छै ?"
"मालिक, परसू हमर बेटीक विआह छै ।अहाँक आज्ञा भेटितै तँ अहाँक बाड़ीमे टेन्टक सरञ्जाम करितियै ।"ई कहि अकलू धरतीपर बैस गेल ।
राधे बाबू कुर्सीसँ उठि कऽ ओकरा कहलनि "ई की करै छऽ ?आबऽ कुर्सीपर बैसऽ ।" अकलूकेँ लजाइत देख राधे बाबू कहलनि "आब जाति-पाति नै छै ।आब सब समानान्तर छी तेँ हमरे संगे तूँहूँ कुर्सीपर बैसऽ ।"
विआहमे राधे बाबू बरियातिक स्वागत कऽ रहल छलाह ।

अमित मिश्र

Saturday, June 15, 2013

चयन



मेटरनिटी वार्ड । सा० दर्दसँ बफाइर तोरैत । छोटका अस्पतालसँ बड़कामे रेफर कए कऽ लाएल गेलथि । अल्ट्रासाउंड रिपोर्टक मुताबीक आठ मासू जौँआ बच्चाक होनिहार तेँपर दुनू बच्चा उल्टा । बड्ड क्रिटिकल केस, पैघ डॉक्टरक एकटा टीम हरान हरान । एक तँ समयसँ पूर्व ओहूपर जौँआ आ सभसँ कठीन जे दुनू बच्चा उल्टा । डॉक्टरक सामने आब ओपरेशनकेँ अलाबा आन कोनो उपाय नहि । जल्दीसँ जल्दी ओपरेशन करैक आवश्यकता, नहि तँ जच्चा बच्चा दुनूक ने तीनुक जानक खतरा भए सकै छल । डॉक्टरक टीम फटाफट ओपरेशनक तैयारीमे जुटि गेल | ओहि टीमक एकटा स्टाफ नर्स फाइल नेने बाहर आबि, “सा०केँ परिवार वला सभ ।“
सा०क परिवारक सभ आगू अबैत, “हाँ ।“
“सा०केँ पति ।“
“जी ।“ सा० केँ पति दू डेग आगू आबैत ।
“ई ओपरेशनक कागज अछि । बहुते क्रिटिकल केस छैक । अपनेकेँ बुझले अछि, बच्चा समयसँ डेढ़ महिना पूर्व, जौँआ आ ताहूपर दुनू उल्टा आगू बढ़ैत बढ़ैत दुनू छाती लग आबि गेल छैक । ऐनामे जँ जल्दी ओपरेशन नहि होएत तँ किछु भऽ सकैत छैक ।“
“जी ।“
“हमर सभक प्रयास रहत तीनु प्राणकेँ नीकेना बचाएल जाए मुदा केसक क्रिटिकली देखैत माए अथवा दुनू बच्चामे सँ केवल एकटाकेँ हम सभ गारेन्टी लए सकै छी । से अहाँ लिख कए दिअ जे अहाँकेँ पहिले के चाही सा० की दुनू बच्चा ?“
“ठीक छै लाउ हम लिख कए साइन कऽ दै छी, हमरा सा० आ दुनू बच्चामे सँ एकटाक चयन करअ  परत तँ  हम सा०केँ प्राण चाहैत छी ओना हम भगवानसँ प्राथना करैत छी जे तीनु जानक रक्षा करथि ।“
*****
जगदानन्द झा 'मनु'

वारेंट



रातिक आठ बजे, दूटा पुलिस कांस्टेबल आबि घरक गेटकेँ पुलिसीया ठेंगासँ खटखटा कए अबाज दैत, “रजिया बानो ।“
“जी ।“ भीतरसँ एकटा २३-२४ बर्खक सुन्नर युवती बाहर आबि ।
“अहाँ, रजिया बानो ।“
“नहि, हमर माए रजिया बानो, की बात कहुँ ।“
“हुनकापर कम्पलेन छनि थाना जाए परतैन्हि।“
“किएक ।“
“ओ ओतए जा कए पत्ता चलत,  बड़ा साहबक हुक्म छनि ।“
“अपने लग वारेंट अछि ।“
“नहि ।“
“तहन मुँह उठा कए किएक आबि गेलहुँ, भारतीय दण्ड संहिताक हिसाबे सभसँ पहिने अहाँ लग वारेंट होवा चाही, दोसर कोनो महिलाकेँ साँझकेँ बाद थाना नहि लए जा सकै छी, तेसर यदि अहाँ वारेंट लएयो कऽ दिन देखार अबै छी तँ एकटा महिलाक गिरफदारी एकगोट महिले कांस्टेबल लए सकैत अछि, पुरुष नहि । (दुनू कांस्टेबल काठक उल्लू जकाँ सुनैत, आगू) पुलिस कांस्टेबल होबैक नाते अपनेकेँ एतेक कानून तँ बुझले होएत आ नहि तँ हम एखने १०० न०पर पुलिस कंट्रोल रूममे रिपोर्ट दर्ज कराबै छी, डिपार्टमेंट अपने अहाँ दुनूकेँ कानून बता देत ।“   

*****
जगदानन्द झा 'मनु'