Wednesday, May 29, 2013

बुढ़ारी

विहनि कथा-38
बुढ़ारी

- प्रणाम टी॰टी॰ बाबू, हम राम बाजै छी ।
- खुश रहू ।की हाल-चाल ?
- ठीक अछि ।कने एकटा प्रयागक टीकट कन्फॉर्म करबा दिअ ने ।
- भऽ जेतै, मुदा एकाएक कोन काज पड़ि गेल?
- हमरा काज नै अछि ।ओ बौआ काका मास करऽ जेथिन तेँ चाही ।
- बौआ झा मास कऽ की करथिन ? जुआनीमे एक्को टा साधुकें जलखइ नै करेलनि आब भण्डारा कऽ की हेतनि ?
- नै बुझलियै आब बुढ़ारी आबि गेलै ने ।जुआनीमे अपनाकें बलगर बुझलखिन, मुदा मनुखक कमजोरी तँ बुढ़ारियेमे पता चलै छै । पुरनका शेर आब बिलाइ बनि गेल छै ।

अमित मिश्र

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