Wednesday, May 29, 2013

मच्छरदानी

विहनि कथा-36
मच्छरदानी

सोना झा नामे जकाँ बड सोनाक मालिक छलथि ।इलाकामे हुनका एते धनाढ्य किओ नै छलै ।धन तँ छलन्हि मुना करेज नै ।बड्डा कंजुस छलथि । सऽर-सम्बन्धी सब जखने-तखने आबिते रहैत छलनि ।पाहुनक स्वागतमे सए-दू सए प्रतिदिन खर्च भऽ जाइ ।एहिसँ परेशान भऽ गेल छलथि सोना झा ।एहन रिश्तेदारी रूपी मच्छरसँ बचबाक लेल मच्छरदानी बनेबाक योजना बनबैमे चिन्ताग्रस्त रहै छलथि ।उपाय सुजलनि, आब ककरो एलापर हाथ पसारि पाइ माँगनाइ शुरू कऽ दैथ ।हिनकर पाइपर मस्ती करै बला रिश्तेदार एकटा अठन्नी नै दै, मुदा बेर-बेर माँगलापर भागि जाइ ।आब सम्बन्धीक जुटान कम भऽ गेलनि ।सोना झाकें काजक मच्छरदानी भेट गेल छलनि ।

अमित मिश्र

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