Monday, May 27, 2013

नम्हर झोरा



“कि मालिक हमर छौंरा आएल रहै समान नहि देलहक |”
“ए रानी तोरा लेल समानकेँ कतए मनाही छै, बस ई चानसन मुँह देखैक लौलसा रहेए आ रानी तोरासँ पाइ तँ मँगैत नहि छियौ तहन अपन सेबासँ बंचित किएक कए देलह |”
“राम राम मालिक, केहन गप्प करै छ ओ तँ एखन गुजरातसँ हमर मरदाबा आएल छै ओकरा बाद तँ ई गुलाबो आ तुँ .....| अच्छा मालिक आब हम जाइ छी छौंराकेँ पठा देबै |”
“हाँ हाँ रानी किएक नहि, संगमे नम्हर झोरा दऽ दिहै |”

No comments:

Post a Comment